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वो कैंडिडेट्स जिनके परिवारों का प्रदेश की राजनीति में रहा है दबदबा!

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
25/10/23
in राज्य, समाचार
वो कैंडिडेट्स जिनके परिवारों का प्रदेश की राजनीति में रहा है दबदबा!
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नई दिल्ली : मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे, वहीं वोटों की गिनती 3 दिसंबर 2023 को होगी। भाजपा ने जहां 228 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, वहीं कांग्रेस ने सभी 230 सीटों पर कैंडिडेट्स की लिस्ट जारी कर दी है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों में उम्मीदवारों के ऐलान के बाद विरोध हो रहा है। मध्य प्रदेश की राजनीति में हालांकि वंशवाद की जड़ें बहुत गहरी हैं।

मध्य प्रदेश की राजनीति में भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं की कई पीढ़ियों ने राज किया है और इनका खासा दबदबा भी रहा। एक तरफ जहां आठ पूर्व मुख्यमंत्रियों अर्जुन सिंह, दिग्विजय सिंह, कैलाश जोशी, वीरेंद्र कुमार सखलेचा, बाबूलाल गौर, उमा भारती, गोविंद नारायण सिंह और सुंदरलाल पटवा के वंशज अभी भी चुनाव में सीधे तौर पर प्रत्याशी के रूप में उतरे हैं। वहीं, दो उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव और जमुना देवी के वंशज भी चुनावी मैदान में हैं।

पूर्व मुख्यमंत्रियों और उप मुख्यमंत्रियों के बेटे-परिवार के अलावा भी अनेक दिग्गज नेताओं के परिवार चुनावी मैदान में अपना दम दिखा रहे हैं। इसके साथ ही दर्जनों ऐसे नेता हैं जो राजनीतिक घरानों से हैं और पूरे दमखम से सियासी मैदान में जुटे हैं। 40 से ज्यादा उम्मीदवार ऐसे हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चुनावी मैदान में हैं।

ओमप्रकाश सकलेचा

ओमप्रकाश राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा के बेटे हैं। ये नीमच जिले के जावद से चुनाव मैदान में हैं। वीरेंद्र कुमार साल 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री बने। उसके बाद 2003 में उमा भारती की अगुवाई में चुनाव लड़ा गया, तब इनके बिजनेसमैन बेटे ओम प्रकाश सकलेचा को पहली बार जावद से पार्टी टिकट मिला और वह विधायक बने। तब से ये लगातार चार चुनाव रहे हैं और अब सरकार में मंत्री हैं।

दीपक जोशी

दीपक प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे हैं। दीपक साल 2003 में अपने पिता के क्षेत्र बागली से विधायक चुने गए। साल 2008 में हाटपिपलिया से चुनाव जीते। 2013 में फिर यहीं से जीते लेकिन 2018 में हार गए। दीपक जोशी ने हाल ही में कांग्रेस का दामन थाम और कांग्रेस ने इन्हें खातेगांव से टिकट दिया है।

उमंग सिंगार

उमंग राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय जमुना देवी के भतीजे हैं। बेटी डॉ हेमा की राजनीति में कोई रुचि नहीं रही तो भतीजे उमंग सिंगार को पहली बार धार से लोकसभा चुनाव लड़वाया पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उमंग 2008 में गंधवानी से विधायक बने और तब से लगातार जीत रहे हैं। इस बार कांग्रेस ने उन्हें गंधवानी से चुनाव मैदान में उतारा है।

सुरेंद्र पटवा

सुरेंद्र पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के भतीजे हैं। सुंदरलाल पटवा के दत्तक पुत्र सुरेंद्र पटवा भोजपुर से विधायक हैं। सरकार मे मंत्री भी रहे हैं। भाजपा ने इस बार इन्हें फिर से भोजपुर से टिकट दिया है।

सचिन यादव

सचिन राज्य के उप मुख्यमंत्री और सहकारिता नेता सुभाष यादव के पुत्र हैं। सुभाष यादव के पुत्र अरुण और सचिन दोनों राजनीति में सक्रिय हैं। कांग्रेस ने इस बार सचिन यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। इन्हें कसरावद से टिकट दिया गया है। सचिन दो बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं और कमलनाथ मंत्रिमंडल में मंत्री भी रहे हैं।

जयवर्धन सिंह

जयवर्धन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र हैं। जयवर्धन राघौगढ़ सीट से चुनाव मैदान में हैं। कमलनाथ सरकार में मंत्री भी रहे हैं। दो बार विधायक रह चुके हैं, इस बार तीसरे कार्यकाल के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं।

कृष्णा गौर

कृष्णा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्व बाबूलाल गौर की पुत्रबधु हैं। बाबूलाल गौर के निधन के बाद भाजपा ने गौर की परंपरागत सीट गोविंदपुरा से टिकट दिया और चुनाव जीतीं। भाजपा ने इस बार भी इन्हें गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया है।

अजय सिंह राहुल

पूर्व मुख्यमंत्री स्व अर्जुन सिंह के पुत्र हैं। वह चुरहट विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी हैं। पिछली बार इसी सीट पर शरदेंद्रु तिवारी से हार गए थे। वह लोक सभा चुनाव भी लड़ चुके हैं लेकिन हार गए थे।

इसके अलावा भी ध्रुवनारायण सिंह, राज्यवर्धन सिंह, सुरेंद्रसिंह बघेल, निर्मला भूरिया, नितेंद्र सिंह राठौर, हेमंत कटारे, ऋषि अग्रवाल, लक्ष्मण सिंह, कमलेश्वर पटेल, संजय पाठक, हिना कांवरे जैसे कई नाम हैं।

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