नई दिल्ली: नीट-यूजी पेपर लीक मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसले को सुरक्षित रख लिया है. इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने ये भी कहा कि नीट-यूजी 2024 की परीक्षा को रद्द नहीं किया जाएगी, सीबीआई की जांच पूरी होने के बाद पेपर लीक के आरोपी कैंडिडेट्स की पहचान की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद अब बिहार सरकार ने पेपर लीक मामलों को लेकर सख्ती दिखाई है. बुधवार को बिहार विधानसभा में पेपर लीक की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए एक विधेयक पास किया गया, जिसके तहत अगर राज्य में अगर पेपर लीक का कोई दोषी पाया जाता है तो उसे 10 लाख रुपये का जुर्माना और जेल की सजा काटनी पड़ सकती है.
नीट-यूजी पेपर लीक से ली सबक
गौरतलब है कि नीट-यूजी पेपर लीक के तार बिहार से जुड़े हुई है, अब तक इस मामले में एक दर्जन से अधिक आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. माना जा रहा है पेपर लीक करने वाला ये गैंग कई और राज्यों में एक्टिव हो सकता है. नीट-यूजी से सबक लेते हुए बिहार विधानसभा ने राज्य में आयोजित होने वाली भर्ती परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक और अन्य गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से बुधवार को एक विधेयक पारित किया. बिहार के संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी द्वारा सदन में पेश किये गए बिहार लोक परीक्षा (पीई) अनुचित साधन निवारण विधेयक, 2024 को विपक्ष के बहिर्गमन के बीच ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.
केंद्र सरकार ने भी पहले लागू किया था कानून
नये कानून का उद्देश्य बिहार में पेपर लीक सहित प्रतियोगी परीक्षाओं में कदाचार पर अंकुश लगाना है. बिहार ‘राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा-स्नातक’ (नीट-यूजी) 2024 प्रश्नपत्र लीक मामले को लेकर हाल में सुर्खियों में भी रहा है. विधेयक में ऐसे कदाचार में शामिल लोगों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है, जिसमें तीन से पांच साल की जेल और 10 लाख रुपये का जुर्माना शामिल है. इससे पहले केंद्र सरकार ने 22 जून को लोक परीक्षा कानून 2024 लागू किया था, जिसके तहत नकल कराने वाले गैंग को दस साल की जेल और 1 करोड़ रुपये जुर्माना भरना पड़ सकता है.