लखनऊ : निर्दोष लोगों को जेल भेजने वाले विवेचकों को भविष्य में कोई विवेचना नहीं दी जाएगी। विवेचना में त्रुटियों को लेकर हाईकोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए डीजीपी विजय कुमार ने मातहतों को सख्ती से इसका पालन सुनिश्चित करने को कहा है।
दरअसल, हाईकोर्ट ने विवेचना में होने वाली त्रुटियों से अवगत कराते हुए इसका निराकरण करने के लिए डीजीपी को जरूरी दिशा-निर्देश जारी करने को कहा था। अदालत ने दोषी विवेचकों को दंडित करने तथा भविष्य में विवेचना के कार्य से अलग करने की अपेक्षा भी की है।
अदालत ने निर्दोष लोगों को जेल भेजने वाले विवेचकों को दी जाने वाली मिस कंडक्ट की सजा को भी नाकाफी बताया है। हाईकोर्ट ने विवेचना में त्रुटियों को लेकर कई अहम निर्देश भी दिए हैं। इसमें अभियुक्तों की मुकदमों में भूमिका के मुताबिक धाराओं में ही अदालत में आरोप पत्र भेजना भी शामिल है। इसके लिए प्रक्रिया तय करने की संस्तुति की है। हाईकोर्ट ने कुछ विवेचनाओं में परीक्षण के लिए फोरेंसिक लैब रिपोर्ट भेजे बिना ही आरोप पत्र में इसका उल्लेख करने पर आपत्ति जताई है।
अदालत ने कहा कि अक्सर एफएसएल रिपोर्ट थाने पर ही रखी रहती है। ये समय से परीक्षण के लिए भेजी जाए, यह सुनिश्चित करें। अदालत ने कुछ विवेचनाओं में गवाहों के बयान के आधार पर आरोपियों का नाम हटाने की प्रवृत्ति भी रोकने को कहा है। वहीं, जेल में बंद अपराधियों को आरोप पत्र लगने के बाद समय से समन तामील कराने के भी निर्देश दिए हैं। डीजीपी ने मातहतों को विवेचना की बारीकियों से अवगत कराने के लिए विधि, साइबर क्राइम व कंप्यूटर विशेषज्ञों की मौजूदगी में कार्यशालाएं कराने को कहा है।