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तीन बार के मंत्री नहीं होंगे रिपीट, ऐसा होगा तीन राज्यों में कैबिनेट गठन का फॉर्मूला!

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
22/12/23
in राज्य, समाचार
तीन बार के मंत्री नहीं होंगे रिपीट, ऐसा होगा तीन राज्यों में कैबिनेट गठन का फॉर्मूला!
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नई दिल्ली : राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव नतीजों का ऐलान हुए 18 दिन हो चुके हैं. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 13 दिसंबर और राजस्थान में 15 दिसंबर को नई सरकार का गठन भी हो गया था. तीनों ही राज्यों में सरकार गठन हुए भी एक हफ्ते से अधिक समय हो चुका है. जयपुर, भोपाल और रायपुर से लेकर दिल्ली तक बैठकों का दौर भी चला लेकिन छत्तीसगढ़ को छोड़ दें तो बाकी के दो राज्यों में अब तक मंत्रिमंडल की तस्वीर साफ नहीं हो सकी है.

नए मंत्रिमंडल की तस्वीर क्या होगी, किसे मंत्री पद मिलेगा, कैसे मंत्री के लिए चेहरों का चयन किया जाएगा? इसे लेकर कयासों का दौर जारी है. कहा तो ये भी जा रहा है कि जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीनों राज्यों के चुनाव में जीत के बाद सरकार का चेहरा बदल दिया, नए सीएम दिए, मंत्रिमंडल भी पूरी तरह नया हो सकता है. मंत्रिमंडल गठन का फॉर्मूला क्या हो सकता है?

क्या रिपीट होंगे पुराने मंत्री?

तीनों ही राज्यों, खासकर मध्य प्रदेश में इसे लेकर खूब चर्चा हो रही है कि क्या शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली पुरानी सरकार में मंत्री रहे विधायकों को फिर से मंत्री पद मिलेगा? ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बीजेपी ने तीनों ही राज्यों में नए सीएम बनाकर यह संदेश दे दिया है कि पार्टी अब बदलाव के मूड में है. ऐसे में उन विधायकों के मंत्री बनने या न बनने को लेकर सबसे अधिक चर्चा हो रही है जो पार्टी की पिछली सरकारों में मंत्री रहे हैं. कयास थे कि नए सीएम के साथ बहुत पुराने चेहरों, तीन या इससे अधिक बार मंत्री रह चुके विधायकों को मंत्री बनाने के मूड में बीजेपी नहीं है. लेकिन छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल में बृजमोहन अग्रवाल इस फॉर्मूले के अपवाद हैं.

मध्य प्रदेश और राजस्थान में अगर ऐसा हुआ तो 2003 से बीजेपी की हर सरकार में मंत्री रहे जयंत मलैया जैसे दिग्गजों के मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है. इसी तरह राजस्थान में मदन दिलावर, मदन दिलावर, जोगेश्वर गर्ग, किरोड़ीलाल मीणा जैसे कद्दावर नेता भी मंत्री पद की रेस से बाहर हो सकते हैं.

लोकसभा चुनाव पर नजर

लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी हैं. ऐसे में मंत्रिमंडल गठन पर 2024 के चुनाव की छाप नजर आएगी. बीजेपी की रणनीति तीनों राज्यों में बड़े चेहरों से ज्यादा ऐसे नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह देने की होगी जिनकी पहचान जमीनी नेता की है. यानी मंत्री इस तरह से बनाए जाएंगे जिससे लोकसभा की सीटों को कवर किया जा सके. इस तरह का चेहरा चुना जाए जिससे  पूरे लोकसभा क्षेत्र के वोटरों को प्रभावित किया जा सके. उन्हें पार्टी के पक्ष में मोड़ा जा सके. छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल में रामविचार नेताम और बृजमोहन अग्रवाल जैसे नेताओं को जगह दिए जाने के पीछे इसी फैक्टर को अहम माना जा रहा है.

क्षेत्रीय संतुलन

मंत्रिमंडल के जरिए बीजेपी की रणनीति क्षेत्रीय संतुलन साधने की होगी. मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29, राजस्थान में 25 और छत्तीसगढ़ में 11 सीटें हैं. 2018 के चुनाव में जब बीजेपी तीनों राज्यों में चुनाव हार गई थी, तब भी पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव में इन राज्यों की कुल 65 में से 61 सीटों पर जीत मिली थी.

बीजेपी इसबार इन राज्यों की सभी सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है. ऐसे में पार्टी की रणनीति यही होगी कि मंत्रिमंडल गठन में हर रीजन को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए जिससे कहीं भी उपेक्षा का संदेश न जाने पाए. किसी भी एक क्षेत्र से ज्यादा मंत्री नहीं बन सकें ताकि किसी एक रीजन की उपेक्षा जैसी बातें वोटरों को पार्टी से दूर न कर दें. छत्तीसगढ़ के नए मंत्रिमंडल पर इसकी छाप दिख भी रही है.

नए चेहरों के साथ अनुभव का मिश्रण

राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के नए मंत्रिमंडल में नए चेहरों के साथ ही अनुभव का मिश्रण देखने को मिल सकता है. बीजेपी वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर नाराजगी भी नहीं लेना चाहेगी. चर्चा है कि कैबिनेट में सीनियर-जूनियर का संतुलन देखने को मिल सकता है. कयास हैं कि कम से कम 60 फीसदी मंत्री सीनियर और 40 परसेंट विधायकों को मंत्री बनाकर कैबिनेट में संतुलन साधा जाएगा. छत्तीसगढ़ के नवगठित मंत्रिमंडल की बात करें तो इसमें बृजमोहन अग्रवाल जैसे अनुभवी नेता हैं तो ओपी चौधरी जैसे नए चेहरे भी.

कद्दावर नेताओं को मंत्री पद और कद के मुताबिक विभाग मिलेगा?

बीजेपी ने मध्य प्रदेश में केंद्र की सरकार में मंत्री रहे प्रह्लाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और कैलाश विजयवर्गीय जैसे कद्दावर नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा था. छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रिमंडल में रेणुका सिंह और लता उसेंडी जैसे बड़े चेहरे जगह नहीं पा सके. ऐसे में ये सवाल अब और भी गहरा हो गया है कि मध्य प्रदेश और राजस्थान के कद्दावर चेहरों का क्या होगा? राजस्थान में भी राज्यवर्धन सिंह राठौड़, बाबा बालकनाथ जैसे दिग्गज भी विधानसभा पहुंचे हैं. नरेंद्र सिंह तोमर को तो पार्टी ने मध्य प्रदेश का विधानसभा का स्पीकर बनाकर सेट कर दिया लेकिन बाकियों का क्या होगा?

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में सीएम विष्णुदेव साय के साथ दो डिप्टी सीएम विजय शर्मा और अरुण साव ने शपथ ली थी. अब उन नौ मंत्रियों के नाम भी सामने आ गए हैं जो नई सरकार में मंत्री पद की शपथ लेंगे. नई सरकार के नए मंत्रियों की लिस्ट में बृजमोहन अग्रवाल, रामविचार नेताम, दयालदास बघेल, केदार कश्यप, ओपी चौधरी, टंक राम वर्मा, श्यामबिहारी जायसवाल और लक्ष्मी रजवाड़े के नाम शामिल हैं. बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा की सदस्य संख्या 90 है. नियमों के मुताबिक सूबे की सरकार में सीएम समेत अधिकतम 13 मंत्री हो सकते हैं. नौ नए नाम के साथ ही अब मंत्रिमंडल में 12 सदस्य हो गए हैं. यानी एक सीट अब भी खाली है.

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