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नवग्रह के दुष्प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए करें इन मंत्रों का जाप

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
04/09/22
in कला संस्कृति, धर्म दर्शन
नवग्रह के दुष्प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए करें इन मंत्रों का जाप
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य, गुरु, मंगल, बुध, शुक्र, शनि, चंद्रमा और राहु-केतु, को नवग्रह कहा जाता है। मान्यता है कि ग्रहों की स्थिति अगर शुभ हो तो जीवन आनंदमय व्यतीत होता है बल्कि मनुष्य की तरक्की भी इसी पर निर्भर करती है। कहा जाता है कि इनके नव ग्रहों के मंत्रों का जप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही साथ जीवन में चल रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्येक ग्रह अपना अलग-अलग फल प्रदान करता है। ज्योतिष शास्त्र में इनसे जुड़े न केवल उपाय बताए गए बल्कि इनसे जुड़े कई मंत्रों के बारे में वर्णन किया गया है। आज हम आपको अपनी वेबसाइट के माध्य से नवग्रह के मंत्रों के बारे में भी बताने जा रहे हैं, जिनका जप करने से व्यक्ति अपनी कुडंली में स्थित ग्रहों के प्रभाव में सुधार ला सकता है। तो अगर आपके कुंडली में भी किसी ग्रह ही स्थिति कमजोर हैं और आपको इसके कारण जीवन में कई परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है तो बता दें निम्न बताए गए नवग्रह मंत्र आपके लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकते हैं।

सूर्य ग्रह
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को सभी ग्रहों का राजा कहा गया है। सूर्य मजबूत करने के लिए तांबे के लोटे से सूरज को जल चढ़ाएं और साथ में गायत्री मंत्र का जप करें। सूर्य की स्थिति को सही रखने के लिए निम्न मंत्र का जप करें।
”ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम:”

चंद्र ग्रह
ज्योतिषों द्वारा बताया गया है कि चंद्रमा मन का कारक है। जो मन को नियंत्रित करता है। जब चंद्रमा अशुभ स्थिति में होता है तो मानसिक परेशानियां बढ़ जाती हैं, ऐसे में चंद्र की स्थिति को शुभ करने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। साथ ही नीचे दिए गए मंत्र का जप करें।
”ॐ सों सोमाय नम:”

मंगल ग्रह
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार मंगल ग्रह को सेनापति ग्रह कहा जाता है। जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में यह ग्रह शुभ स्थिति में हो तो साहस, पराक्रम मनुष्य में बढ़ जाता है। तो वहीं अगर अशुभ स्थिति में हो व्यक्ति के स्वभाव में क्रोध बढ़ जाता है इसलिए इसके प्रभाव को कम करने के लिए हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा एवं आगे बताए गए मंत्र का जाप करना चाहिए।
”ॐ अं अंगारकाय नम:”

बुध ग्रह
ज्योतिषों के द्वारा बुध को किशोर व राजकुमार ग्रह माना जाता है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार बुध ग्रह व्यक्ति की वाणी, त्वचा और बुद्धि से संबंध रखता है। जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध अशुभ स्थिति में होता है उसे नियमित रूप से बुधवार के दिन गणपति बप्पा की आराधना करनी चाहिए साथ ही साथ इस मंत्र का उच्चारण करें।
”ॐ बुं बुधाय नम:”

गुरु ग्रह
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरू अर्थात बृहस्पति ग्रह सफलता व समृद्धि के कारक हैं। कुंडली में इनकी खराब स्थिति व्यक्ति को कई तरह से प्रभावित करती है। बताया जाता है कि गुरू को मजबूत करने के लिए बृहस्पतिवार यानि गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए सथ ही साथ निम्नलिखत मंत्र का जाप करें।
”ॐ बृं बृहस्पतये नम:”

शुक्र ग्रह
शुक्र ग्रह सुख-सौन्दर्य एवं प्रेम जीवन से संबंध रखता है। इस ग्रह के अशुभ होने से व्यक्ति के जीवन में सुख-सुविधाएं की कम होने लगती हैं। शुक्र ग्रह को अनुकूल करने के लिए दान पुण्य का कार्य करना चाहिए। इसके अलावा इत्र का प्रयोग भी किया जा सकता है। इनकी स्थिति को शुभ करने के लिए निम्न मंत्र का जप करना लाभदायक साबित हो सकता है।
”ॐ शुं शुक्राय नम:”

शनि ग्रह
ज्योतिष शास्त्र में शनि को क्रूर ग्रह कहा गया है। तो वहीं इन्हें न्याय प्रिय देव का दर्जा भी प्राप्त है। शनि धीमी गति से राशियों में भ्रमण करते हैं, जिसके कारण इनकी साढ़ेसाती और ढैय्या लगती है। जिसके चलते व्यक्ति को कई परेशानियों से जूझना पड़ता है। अतः शनि की अशुभता को दूर करने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीप जलाते हुए ठीक नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
”ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:”

राहु ग्रह
ज्योतिष शास्त्र में राहु को पाप ग्रह कहा गया है। इसके अशुभ होने के कारण व्यक्ति के हर काम में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं। तथा जीवन में अन्य कई कष्टों का सामना करना पड़ता है। राहु को शांत रखने के लिए शिव शंभू की पूजा सबसे लाभकारी मानी जाती है। साथ ही साथ निम्न मंत्र समस्याओं का निवारण करने में सहयोगी होता है।
”ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:”

केतु ग्रह
केतु ग्रह को एक रहस्यमय ग्रह माना गया है। ज्योतिषी बताते हैं मनुष्य जीवन में अचानक से होने वाली घटनाओं का संबंध केतु से होता है। केतु की शांति के लिए भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए तथा अनुकूलता के लिए नीचे दिया गए मंत्र का जप करना चाहिए।
”ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:”

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