Sunday, May 25, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home मुख्य खबर

आज भी युवाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय है नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन चरित्र

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
22/01/22
in मुख्य खबर, राष्ट्रीय, साहित्य
आज भी युवाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय है नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन चरित्र

google image

Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

 सुयश त्यागी  सुयश त्यागी


“सैकड़ों खो रहे थे आजादी की उस लड़ाई में पर फिर भी ना जज्बे में कमी थी और ना ही साहस में, मातृभूमि से प्रेम के अलिंगन में एक ऐसी सुख-शांती का अनुभव था, जहां हर दर्द दूर हो जाता, तो हर घाव भी भर जाता था l” ऐसे ही देश के सच्चे सपूत, विराट व्यक्तिवत आजाद हिन्द फौज का नेतृत्व करने वाले, भारत ही नही अपितु विदेशी भूमि से भी भारत की आजादी के उदघोष का हुंकार लगाने वाले हम सभी के “नेताजी” सुभाष चंद्र बोस के बारे में कहा जा सकता हैl

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, सन 1897ई. में उड़ीसा के कटक नामक स्थान पर हुआ था। वे 6 बहनों और 8 भाइयों के परिवार में नौवीं संतान और पाँचवें बेटे थे। अपने सभी भाइयों में से सुभाष को सबसे अधिक लगाव शरदचंद्र जी से था। वे उनसे सदैव ही अपने अनसुलझे प्रश्नों की झड़ी व अनौपचारिक संवाद करते रहते थे l शरदबाबू प्रभावती और जानकीनाथ के दूसरे बेटे थे, नेता जी उन्हें’मेजदा’ कहते थे।

सुभाष बाबू का हृदय बचपन से ही भारतीयों के साथ अंग्रेज़ों द्वारा हो रहे अत्यचार देखकर व्यथित रहता थाl उन्होंने इस भेदभावपूर्ण व्यवहार को देखकर एक बार अपने भाई से पूछा- “दादा कक्षा में आगे की सीटों पर हमें क्यों बैठने नहीं दिया जाता है?” नेताजी हमेशा जो भी कहा करते थे, पूरे आत्मविश्वास से कहते थे। स्कूल में अंग्रेज़ अध्यापक भी बोस जी के अंक देखकर अधिकत्तर हैरान रह जाते थे,उनकी बुद्धिमत्ता व नवसृजन के विचार सभी को चकित करते थे।

जब बोस द्वारा कक्षा में सबसे अधिक अंक लाने पर भी छात्रवृत्ति अंग्रेज़ बालक को दी गई, तो वे उखड़ गए और उन्होंने वह मिशनरी स्कूल ही छोड़ दिया।

उसी समय अरविंद घोष ने बोस बाबू से कहा- “हम में से प्रत्येक भारतीय को डायनमो बनना चाहिए, जिससे कि हममें से यदि एक भी खड़ा हो जाए तो हमारे आस-पास हज़ारों व्यक्ति प्रकाशवान हो जाएँ।” उस दिन से अरविन्द जी के शब्द बोस बाबू के मस्तिष्क में सदैव गूंजा करते थे l उनके प्रेरणादायी शब्दों का उनके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा और देश को स्वतंत्र करवाना ही उनके जीवन का एक मात्र मार्ग सुनिश्चित हो गया l

कोहिमा, नागालैंड के आक्रमण की विफलता पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भारत माता को ग़ुलामी की हथकड़ी पहने हुए देखते थे l वे देश भक्ति की भावना से प्रेरित होकर अंग्रेज़ी शिक्षा को निषेधात्मक शिक्षा मानते थे। किन्तु बोस जी को उनके पिता ने समझाया- हम भारतीय अंग्रेज़ों से जब तक प्रशासनिक पद नहीं छीनेंगे, तब तक देश का भला कैसे होगा।

अपने पिता से प्रेरणा लेकर नेताजी ने इंग्लैंड में जाकर आई. सी. एस. की परीक्षा उत्तीर्ण की। वे प्रतियोगिता में सिर्फ उत्तीर्ण ही नहीं हुए बल्कि चतुर्थ स्थान पर भी रहे। नेता जी एक बहुत मेधावी व प्रतिभावन छात्र थे। वे चाहते तो उच्च अधिकारी के पद पर सुशोभित हो सकते थे। परन्तु उनकी देश भक्ति की भावना ने उन्हें कुछ अलग करने के लिए हमेशा प्रेरित किया। बोस जी ने नौकरी से त्याग पत्र दे दिया और सारा देश हैरान रह गया l उन्हें अनेक प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा समझाते हुए कहा गया- तुम जानते भी हो कि तुम लाखों भारतीयों के सरताज़ होगे हज़ारों देशवासी तुम्हें नमन करेंगे? तब सुभाष चंद्र बोस ने कहा था – “मैं लोगों पर नहीं उनके मनों पर राज्य करना चाहता हूँ। उनका हृदय सम्राट बनना चाहता हूँ।”

भारत की सामाजिक दशा पर उनके समकालीन विचार आज भी बड़े मूल्यवान है, उनका मानना था “हमारी सामाजिक स्थिति बदतर है, जाति-पाँति तो है ही, ग़रीब और अमीर की खाई भी समाज को बाँटे हुए है। निरक्षरता देश के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है। इसके लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है।”

सुभाष चंद्र बोस जब देश आजाद करवाने चले , तो पूरे देश को अपने साथ लेकर चल पड़े। वे जब गाँधी जी से मिले तो उन्होंने सुभाष बाबू को देश को समझने और जानने को कहा। उनका अनुसरण कर वे देश भर में घूमें और देश को निकटता से जाना | कांग्रेस के एक अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस ने कहा-  “मैं अंग्रेज़ों को देश से निकालना चाहता हूँ। मैं अहिंसा में विश्वास रखता हूँ, किन्तु इस रास्ते पर चलकर स्वतंत्रता काफ़ी देर से मिलने की आशा है।”

सुभाष चंद्र बोस तो जैसे भारतीयता की पहचान ही बन गए थे और भारतीय युवक आज भी उनसे सर्वाधिक प्रेरणा लेते हैं। वे भारत की एक ऐसी अमूल्य निधि थे जिन्होंने देश को ‘जय हिन्द’ का नारा दिया था । उन्होंने कहा था कि- “स्वतंत्रता बलिदान चाहती है। आपने आज़ादी के लिए बहुत त्याग किया है, किन्तु अभी प्राणों की आहुति देना शेष है। आज़ादी को आज अपने शीश फूल चढ़ा देने वाले पागल पुजारियों की आवश्यकता है। ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है, जो अपना सिर काट कर स्वाधीनता देवी को भेट चढ़ा सकें। “तुम मुझे ख़ून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा”। इस वाक्य के जवाब में नौजवानों ने कहा- “हम अपना ख़ून देंगे।” उन्होंने आईएनए को ‘दिल्ली चलो’ का नारा भी दिया।

नेता जी के जीवन के अनेक पहलू सामाजिक जीवन में हमे एक नई ऊर्जा प्रदान करते हैं। वे एक सफल संगठनकर्ता भी थे। उनकी वक्तव्य शैली में जादू था और उन्होंने देश से बाहर रहकर ‘स्वतंत्रता आंदोलन’ चलाया। नेता जी मतभेद होने के बावज़ूद भी अपने साथियो का मान सम्मान रखते थे।

उन्होंने 21 अक्टूबर, 1943 को आजाद हिन्द अर्थात स्वतंत्र भारत की एक सरकार का भी गठन किया था। जिसे विश्व के 7 देशों ने मान्यता भी प्रदान की थी। वह सात देश थे-जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, इटली, मानसूकू और आयरलैंड। इस सरकार के पास अपना बैंक,डाक टिकट और झंडा भी था। हमारा तिरंगा जो तब से लेकर अब तक लगातार शान से लहरा रहा है। इस सरकार ने आपने नागरिकों के मध्य आपसी अभिवादन के समय ‘जय हिंद’ कहने का निर्णय भी लिया था।

ऐसा था स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस याने हमारे “नेताजी” का प्रेरणादायी जीवन चरित्र l प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और भारत सरकार द्वारा मनाये जा रहे “स्वतंत्रता का 75वाँ अमृत महोत्सव” एवं उनकी जन्म जयंती पर सादर नमन l

 

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.