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Home कला संस्कृति

नवरात्रि में 9 दिन ही क्यों, क्यों होते हैं माता के नौ स्वरूप?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
23/03/25
in कला संस्कृति, धर्म दर्शन
नवरात्रि में 9 दिन ही क्यों, क्यों होते हैं माता के नौ स्वरूप?

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नई दिल्ली: साल 2025 में 30 मार्च से चैत्र माह की नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी। इसी दिन से हिंदू नववर्ष का भी आगमन माना जाता है। चैत्र माह हिंदू नववर्ष का पहले महीना होता है, वैसे तो इसकी शुरुआत होली से हो जाती है, लेकिन शुक्ल पक्ष को शुभ माना जाता है। इस कारण शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से इसकी शुरुआत मानी जाती है।

साल में दो बार जब ऋतुओं का संधिकाल होता है तो नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। जब सर्दी से गर्मी ऋतु आती है तब चैत्र नवरात्रि और जब वर्षा से सर्दी ऋतु आती है तब शारदीय नवरात्रि का पर्व आता है। इस समय प्रकृति की ऊर्जा ज्यादा सक्रिय होती है। इस कारण शक्ति प्राप्त करने के लिए इस समय शक्ति प्रदायिनी मां जगदम्बा के विभिन्न स्वरूपों का पूजन किया जाता है।

शास्त्रों में लिखी है यह बात

शिव पुराण और योगिनी तंत्र में नवरात्रि का समय शक्ति साधना के लिए सबसे उत्तम बताया गया है। वहीं साल में दो गुप्त नवरात्रि भी पड़ती हैं। इनके लिए महा निर्वाण तंत्र और शक्तिसंगम तंत्र में लिखा है कि गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं (काली, तारा, त्रिपुरासुंदरी (षोडशी), भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला) का पूजन किया जाता है। कालिका पुराण और रुद्रयामल तंत्र में बताया गया है कि गुप्त नवरात्रि का पूजन अघोरी, तांत्रिक और योगी लोग करते हैं। गृहस्थ लोग चैत्र और आश्विन माह की नवरात्रि पर माता का पूजन करते हैं।

क्यों होते हैं माता के नौ स्वरूप?

मार्कंडेय पुराण और दुर्गासप्तशती के अनुसार माता दुर्गा के ये नौ स्वरूप सृष्टि के अलग-अलग पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके माता के नौ स्वरूप 9 ग्रहों को भी संतुलित करते हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण और लघु पराशरी संहिता में नवग्रह दोष निवारण के लिए नवरात्रि पूजन को प्रमुख माना गया है। नवरात्रि में साधना करने से मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा संतुलित होता है। माना जाता है यह सृष्टि नौ शक्तियों से मिलकर बनी हैं। संख्यायन तंत्र और वेदों में सृष्टि के निर्माण में नौ शक्तियों का उल्लेख मिलता है। शैलपुत्री चंद्र ग्रह, ब्रह्मचारिणी माता मंगल, चंद्रघंटा शुक्र, कूष्मांडा सूर्य, स्कंदमाता बुध, कात्यायनी गुरु, कालरात्रि शनि, महागौरी राहु और सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं।

1- पृथ्वी – स्थायित्व

2- जल – संवेदनशीलता

3- अग्नि – ऊर्जा

4- वायु – गति

5- आकाश – अनंतता

6- मन – विचार

7- बुद्धि – निर्णय

8- अहंकार – पहचान

9- आत्मा – चेतना

नवदुर्गा की पूजा करने से नवग्रह दोष शांत होते हैं।

देवी स्वरूप         संबंधित ग्रह              प्रभाव

शैलपुत्री              चंद्र                         मन की शांति

ब्रह्मचारिणी         मंगल                      ऊर्जा और साहस

चंद्रघंटा              शुक्र                        सुख-सौंदर्य

कूष्मांडा             सूर्य                        स्वास्थ्य और तेज

स्कंदमाता          बुध                         बुद्धि और ज्ञान

कात्यायनी         गुरु                        धार्मिकता

कालरात्रि           शनि                      बाधा निवारण

महागौरी            राहु                       पवित्रता और शुद्धि

सिद्धिदात्री          केतु                       आध्यात्मिक उन्नति

नवरात्रि पूजन से व्यक्ति के अंदर आती हैं ये शक्तियां

श्रीमद देवी भागवत में लिखा है कि नवरात्रि में नवदुर्गा की साधना से साधक को ये नौ सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ये नौ शक्तियां (शक्ति, भक्ति, ज्ञान, साहस, संयम, करुणा, धैर्य, निर्भयता, मोक्ष) हैं। ज्योतिष के अनुसार नवरात्रि की पूजा से व्यक्ति की आध्यात्मिक और मानसिक ऊर्जा संतुलित होती है।

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