पिथौरागढ़. देश में मानसून केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से आगे बढ़ रहा है और अगले कुछ दिनों में महाराष्ट्र में दस्तक देगा. उत्तराखंड में इस बार मानसून के 25 जून के बाद पहुंचने की उम्मीद है. जो कि सामान्य के आसपास ही है. आमतौर पर उत्तराखंड में मानसून 20 से 25 जून के बीच दस्तक देता है, जिससे तपती धरती को राहत मिलती है. लोगों को भी बरसात के इस मौसम का बेसब्री से इंतजार भी रहता है, लेकिन पहाडों में बरसात अपने साथ मुसीबत ही लेकर आती है.
आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील इलाके पिथौरागढ़ में बरसात के दिनों तबाही भी देखने को मिलती है. जगह-जगह भूस्खलन और नदियों के जलस्तर बढ़ जाने से यहां जनजीवन रुक सा जाता है और रोजमर्रा की जरूरतों की आपूर्ति भी ठप हो जाती है. भूस्खलन होने से कई इलाकें ऐसे है जिनका संपर्क ही देश दुनिया से कट जाता है.
आपदा से निपटने के लिए प्रशासन अलर्ट
अब ऐसे में जब बरसात का सीजन नजदीक है तो जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है . बरसात के साथ आने वाली तबाही से निपटने के लिए, तैयारियां पहले से की जा रही है ताकि आपदा जैसी स्थिति में जान माल के नुकसान से लोगो को बचाया जा सके.
धारचूला और मुनस्यारी में स्थिति विकट
पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी रीना जोशी ने जानकारी देते हुए बताया कि बरसात में विशेष रूप से धारचूला और मुनस्यारी के इलाके काफी प्रभावित होते हैं. जिसे देखते हुए अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं. उन्होंने बताया कि सभी विभागों को उनके दायित्व दिए गए हैं जिससे आपदा आने पर रिस्पॉन्स और राहत बचाव कार्य जल्दी से जल्दी हो सके.
पिथौरागढ़ में रिस्की हैं ये इलाके
पिथौरागढ़ जिला आपदा की दृष्टि के काफी संवेदनशील है और यह जोन 5 में आता है, यहां हर साल बरसात अपने साथ तबाही लेके आती है. पिथौरागढ़ के धारचूला और मुनस्यारी के इलाके बरसात में सबसे ज्यादा रिस्की रहते हैं. यहां सफर करना काफी जोखिम भरा रहता है. बरसात में ऐसी जगहों पर जब तक जरूरी न हो सफर करने से बचना ही चाहिए.