नई दिल्ली: अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। अभी तक के ट्रेंड में ही वे जादुई आंकड़े से आगे निकल चुके हैं, ऐसे में उनका फिर राष्ट्रपति बनना तय है। अब डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति बनना वैसे तो भारत के लिए भी फायदे का सौदा है, उनकी विचारधारा पीएम मोदी से मेख खाती है, उनके कई मुद्दों पर स्टैंड भारत के लिए मुफीद साबित हो सकते हैं। लेकिन सबकुछ इतना अच्छा भी नहीं रहने वाला है। रूस के साथ भारत की दोस्ती अब अमेरिका को अखरने वाली है।
असल में व्हाइट हाउस की एक नीती तो स्पष्ट दिख रही है, भारत रूस के ज्यादा व्यापारिक संबंध ना बनाए, इससे उलट वो अमेरिका से ही ज्यादा से ज्यादा सामान खरीदे। अगर भारत को हथियार चाहिए तो भी अमेरिका को ही पहली प्राथमिकता दी जाए। इसी तरह अगर सस्ते तेल की आशा भी भारत रखता है तो रूस से तो वो ना ही लिया जाए। अब यह वो नीति है जो बाइडेन प्रशासन के दौरान भी दिखी और उससे पहले ट्रंप कार्यकाल के दौरान भी। असल में रूस के साथ क्योंकि अमेरिका के रिश्ते ज्यादा अच्छे नहीं है, उस वजह से वो नहीं चाहता कि भारत ज्यादा नजदीकियां पुतिन के देश के साथ रखे।
अब जब फिर डोनाल्ड ट्रंप ही राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं, भारत और रूस के रिश्तों पर असर पड़ना तय है। जानकार मानते हैं कि ट्रंप ने पिछले कार्यकाल के दौरान भी भारत पर दबाव बनाया था, तब ईरान से कच्चा तेल ना लेने के लिए कहा गया था। उस समय भारत पर दबाव बनाने के लिए उनकी तरफ से कई एक्शन लिए गए थे, अब फिर वैसे ही कयास लगने लगे हैं।