नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (Foreign Corrupt Practices Act – FCPA) के प्रवर्तन को निलंबित कर दिया है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकता है। ट्रंप का कहना है कि यह कानून अमेरिकी कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पीछे कर रहा था, लेकिन इस फैसले से वैश्विक भ्रष्टाचार और अनैतिक व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है।
ट्रंप के इस बड़े कदम से भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी को बड़ी राहत मिल सकती है। अब सवाल उठता है – FCPA को निलंबित करने से ट्रंप को क्या फायदा होगा? क्या यह अडानी समूह के लिए राहत की खबर है? आइए, इस पूरे मामले को समझते हैं…
क्या है विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (FCPA)?
FCPA एक अमेरिकी संघीय कानून है, जो अमेरिकी कंपनियों और नागरिकों को विदेशी सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकता है। इसे 1977 में बनाया गया था, ताकि अमेरिकी कंपनियां अनैतिक व्यापारिक तरीकों से बचें और वैश्विक व्यापार में निष्पक्षता बनी रहे।
ट्रंप ने इसे क्यों हटाया?
- ट्रंप ने कहा कि यह कानून अमेरिकी कंपनियों के लिए “एक आपदा” है। उन्होंने दावा किया कि यह अमेरिकी व्यापारियों को वैश्विक स्तर पर कमजोर बना रहा था, जबकि अन्य देशों की कंपनियां आसानी से रिश्वत देकर व्यापार कर रही थीं।
- ट्रंप ने इसे “जिम्मी कार्टर की बेकार योजना” बताया और कहा कि इससे अमेरिकी कंपनियों को बड़ा नुकसान हो रहा है।
- उन्होंने नए अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को FCPA के प्रवर्तन को रोकने का आदेश दिया।
इस फैसले का मतलब क्या है?
- अब अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ FCPA के तहत मुकदमे दर्ज नहीं किए जाएंगे।
- अमेरिकी कंपनियां विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देकर अपने सौदे पक्के कर सकती हैं।
- अमेरिकी व्यवसायों को कम कड़े नियमों का पालन करना होगा।
क्या है अडानी ग्रुप का रिश्वत मामला?
- नवंबर 2024 में, अमेरिकी SEC और DOJ ने गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर 250 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने का आरोप लगाया।
- अडानी ग्रुप पर आरोप है कि उन्होंने भारत में सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट्स हासिल करने के लिए सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी।
- अमेरिकी जांच एजेंसियों ने अडानी ग्रीन एनर्जी पर गलत जानकारी देने और निवेशकों को धोखा देने का भी आरोप लगाया।
- अडानी और उनके भतीजे के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट तक जारी कर दिया गया था।
FCPA हटने से अडानी ग्रुप को कैसे फायदा होगा?
- अगर ट्रंप प्रशासन FCPA से जुड़े मामलों की समीक्षा करता है, तो अडानी ग्रुप पर लगे आरोप कमजोर हो सकते हैं या पूरी तरह खत्म भी हो सकते हैं।
- अमेरिकी अभियोजकों को अब FCPA के मामलों में कड़ी कार्रवाई करने की अनुमति नहीं होगी, जिससे अडानी ग्रुप को कानूनी राहत मिलने की संभावना बढ़ गई है।
- अडानी ग्रुप ने पहले ही कहा था कि यह आरोप “निराधार” हैं, और अब इस कानून के हटने से उनका पक्ष मजबूत हो सकता है।
- क्या FCPA हटने से अमेरिका को होगा फायदा या नुकसान?
ट्रंप का दावा – अमेरिकी कंपनियों को होगा फायदा
- अमेरिकी कंपनियां अब दूसरे देशों में व्यापार करने के लिए रिश्वत जैसे तरीकों का इस्तेमाल कर सकेंगी।
- अमेरिकी व्यापारियों को कम कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ेगा।
- अमेरिका की वैश्विक आर्थिक प्रतिस्पर्धा मजबूत होगी।
- एक्सर्ट्स की राय – यह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा
- FCPA को हटाने से ग्लोबल बिजनेस में अनैतिक व्यापारिक प्रथाओं को बढ़ावा मिलेगा।
- इससे बड़ी कंपनियां रिश्वत देकर बाजार पर कब्जा कर सकती हैं, जिससे छोटे और ईमानदार व्यापारियों को नुकसान होगा।
- अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय छवि को धक्का लग सकता है, क्योंकि यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
FCPA हटने से दुनिया पर क्या असर होगा?
भारत: अगर भारत में भी ऐसे कानूनों को कमजोर किया गया, तो भ्रष्टाचार बढ़ सकता है और छोटे बिजनेस और स्टार्टअप को नुकसान होगा।
चीन और रूस: ये देश पहले से ही व्यापार में रिश्वत और भ्रष्टाचार के मामलों के लिए बदनाम हैं। अब अमेरिकी कंपनियां भी इसी राह पर चल सकती हैं।
यूरोप: यूरोपीय संघ ने इस फैसले की आलोचना की है और कहा कि यह वैश्विक व्यापार के लिए खतरनाक हो सकता है।
क्या अडानी ग्रुप को पूरी राहत मिल जाएगी?
अभी यह साफ नहीं है कि FCPA हटने से अडानी ग्रुप पर लगे सारे आरोप खत्म हो जाएंगे या नहीं। लेकिन यह तय है कि अब अमेरिकी जांच एजेंसियों को उन पर मुकदमा चलाने में मुश्किल होगी।
व्हाइट हाउस ने कहा है कि “सभी FCPA मामलों की समीक्षा की जाएगी,” इसलिए अडानी ग्रुप को उम्मीद है कि उनके खिलाफ जांच या तो धीमी हो जाएगी या पूरी तरह रद्द हो सकती है।