Friday, June 13, 2025
नेशनल फ्रंटियर, आवाज राष्ट्रहित की
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार
No Result
View All Result
नेशनल फ्रंटियर
Home अंतरराष्ट्रीय

ट्रंप ने दी धमकी और बुरी तरह गिर गया अमेरिकी शेयर मार्केट!

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
22/04/25
in अंतरराष्ट्रीय, समाचार
ट्रंप ने दी धमकी और बुरी तरह गिर गया अमेरिकी शेयर मार्केट!
Share on FacebookShare on WhatsappShare on Twitter

नई दिल्ली। 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) पूरी दुनिया के बाजार (World Trade) को एक के बाद एक झटके दे रहे हैं। भारत के शेयर बाजार में ऐसी गिरावट कोरोना काल में देखी गई थी, जबकि चीन (China)का हाल तो पूछिए मत। लेकिन अब ट्रंप को अमेरिका के ही एक शख्स ने ऐसा झटका दिया है कि डोनाल्ड ट्रंप तिलिमिला गए हैं और सोशल मीडिया पर भड़ास निकाल रहे हैं।

एक बंदे को धमकी और गिर गया शेयर मार्केट

21 अप्रैल को अमेरिकी शेयर बाजार (US Share Market)में भारी गिरावट देखी गई, जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) की आलोचना की। ट्रंप ने न केवल पॉवेल को फटकार लगाई बल्कि उन्हें पद से हटाने का भी संकेत दिया। इस राजनीतिक तनाव के कारण निवेशकों में घबराहट फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप भारी उथल-पुथल शुरू हो गई और देखते ही देखते शेयर मार्केट हरे से लाल होने लगा।

15 महीनों के सबसे निचले स्तर पर डॉलर इंडेक्स

जब लंबे सप्ताहांत (Long Weekend) के बाद अमेरिकी बाजार फिर से खुले, तो एसएंडपी 500 में करीब दो प्रतिशत की गिरावट आई। डॉलर इंडेक्स भी 15 महीनों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। इस बीच, 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड पर यील्ड 4.4% के करीब पहुंच गई। इसके विपरीत, स्विस फ्रैंक, जापानी येन और यूरो जैसी मुद्राओं में मजबूती आई।

तेल गिरा, सोना उछला और क्या हुआ?

कच्चे तेल की कीमतों में दो प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो 64 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई। जापान का निक्केई 225 सूचकांक (Nikkei 225 Index) भी 1.3 प्रतिशत नीचे आया। हालांकि, सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं, जो 3,400 डॉलर प्रति औंस से अधिक हो गईं। ये उतार-चढ़ाव अमेरिकी आर्थिक नीतियों और राजनीतिक निर्णयों के वैश्विक प्रभाव को उजागर करते हैं। ट्रम्प का यह दावा कि अमेरिका में मुद्रास्फीति (Inflation) नहीं है, ने उन्हें फेड ब्याज दरों में कमी की वकालत करने के लिए उकसाया गया है। पॉवेल को संभवतः बर्खास्त करने के उनके सुझाव ने मौद्रिक नीति (Monetary policy )में राजनीतिक हस्तक्षेप के बारे में चिंताओं को बढ़ा दिया है। इस तरह का हस्तक्षेप फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता को कमजोर कर सकता है।

फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर चिंताएं

एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि फेड की स्वायत्तता पर सवाल उठाने से अमेरिकी फायनेंशियल सिस्टम में काफी अस्थिरता आ सकती है। पेपरस्टोन के माइकल ब्राउन ने कहा कि पॉवेल को हटाने से अमेरिकी बाजारों से निवेशकों की तेजी से वापसी हो सकती है। ओसीबीसी बैंक के क्रिस्टोफर वोंग ने कहा कि फेड की विश्वसनीयता को कोई भी नुकसान डॉलर की स्थिति को गंभीर रूप से कमजोर कर देगा। जिससे डॉलर की अंतर्राष्ट्रीय कीमत को भी खतरा हो सकता है।

‘भुगतने पड़ सकते हैं बुरे नतीजे’

फेडरल रिजर्व की शिकागो शाखा के प्रमुख ऑस्टन गुल्सबी ने सेंट्रल बैंक की स्वतंत्रता को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने अधिकांश अर्थशास्त्रियों की राय को दोहराया, जो मानते हैं कि राजनीतिक दबावों को सेंट्रल बैंकिंग के फैसलों को प्रभावित नहीं करना चाहिए। फायनेंशियल सिस्टम में राजनीतिक हस्तक्षेप की संभावना ने वित्तीय क्षेत्रों में चिंता बढ़ा दी है। अगर ऐसा हस्तक्षेप जारी रहता है या बढ़ता है, तो इससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों पर लंबे और बुरे परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

सरकारी दखल और बाजार का संतुलन

यह स्थिति सरकारी कार्रवाइयों और बाजार स्थिरता के बीच नाजुक संतुलन को उजागर करती है। जैसे-जैसे घटनाएँ सामने आती हैं, हितधारक आर्थिक रणनीतियों में संभावित बदलावों और उनके व्यापक प्रभावों के बारे में सतर्क रहते हैं।

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

About

नेशनल फ्रंटियर

नेशनल फ्रंटियर, राष्ट्रहित की आवाज उठाने वाली प्रमुख वेबसाइट है।

Follow us

  • About us
  • Contact Us
  • Privacy policy
  • Sitemap

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.

  • होम
  • मुख्य खबर
  • समाचार
    • राष्ट्रीय
    • अंतरराष्ट्रीय
    • विंध्यप्रदेश
    • व्यापार
    • अपराध संसार
  • उत्तराखंड
    • गढ़वाल
    • कुमायूं
    • देहरादून
    • हरिद्वार
  • धर्म दर्शन
    • राशिफल
    • शुभ मुहूर्त
    • वास्तु शास्त्र
    • ग्रह नक्षत्र
  • कुंभ
  • सुनहरा संसार
  • खेल
  • साहित्य
    • कला संस्कृति
  • टेक वर्ल्ड
  • करियर
    • नई मंजिले
  • घर संसार

© 2021 नेशनल फ्रंटियर - राष्ट्रहित की प्रमुख आवाज NationaFrontier.