नई दिल्ली: आम तौर पर, ट्यूबलेस बाइक टायर ट्यूब वाले टायर की तुलना में महंगे होते हैं. इसके पीछे कुछ कारण हैं जैसे – ट्यूबलेस टायर की निर्माण प्रक्रिया और तकनीकी जटिलता अधिक होती है. इन्हें हवा का रिसाव कम करने के लिए विशेष रबर और सीलिंग की आवश्यकता होती है, जिससे उनका निर्माण खर्च अधिक होता है. साथ ही ट्यूबलेस टायर अधिक पंक्चर प्रतिरोधी होते हैं, और इनमें रोलिंग रेजिस्टेंस कम होता है, जिससे लंबे समय में बेहतर प्रदर्शन और कम रखरखाव की संभावना होती है.
ट्यूबलेस और ट्यूब वाले टायर्स में क्या फर्क होता है
संरचना
ट्यूबलेस टायर: इस प्रकार के टायर में ट्यूब की आवश्यकता नहीं होती. टायर और रिम के बीच हवा का सील बनाने के लिए विशेष प्रकार की रबर की सीलिंग होती है। हवा सीधे टायर के अंदर रहती है और रिम के साथ एक सील बनाती है.
ट्यूब वाले टायर: इनमें एक इनर ट्यूब होती है जो टायर के अंदर हवा को संलग्न करती है. यह ट्यूब रबर की बनी होती है और टायर के अंदर हवा को बनाए रखने का काम करती है.
पंक्चर प्रूफनेस
ट्यूबलेस टायर: ये टायर पंक्चर के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं क्योंकि हवा का रिसाव कम होता है. छोटे पंक्चर स्वतः सील हो सकते हैं, जिससे आपातकालीन स्थिति में कम समस्या होती है.
ट्यूब वाले टायर: पंक्चर के मामले में, हवा ट्यूब के बाहर निकल जाती है.
ट्यूबलेस टायर आमतौर पर ट्यूब वाले टायर की तुलना में बेहतर माइलेज दे सकते हैं. इसके कुछ कारण हैं:
पैचिंग और पंक्चर प्रूफनेस: ट्यूबलेस टायर में हवा का रिसाव कम होता है और ये पंक्चर के लिए अधिक प्रतिरोधी होते हैं. इससे आपको कम बार हवा भरनी पड़ती है और टायर की उम्र बढ़ती है.
कम रोलिंग रेजिस्टेंस: ट्यूबलेस टायर में रोलिंग रेजिस्टेंस कम होता है, जिससे बाईक की ईंधन दक्षता बेहतर हो सकती है.
हल्के होते हैं: ट्यूबलेस टायर आमतौर पर हल्के होते हैं क्योंकि इनमें ट्यूब की आवश्यकता नहीं होती. इससे बाईक की कुल वजन कम होता है, जो माइलेज को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है.
हालांकि, सही टायर का चयन आपकी ड्राइविंग स्टाइल, सड़क की स्थिति, और बाईक के प्रकार पर भी निर्भर करता है. कुछ परिस्थितियों में ट्यूब वाले टायर भी अच्छे प्रदर्शन दे सकते हैं.
ट्यूबलेस बाइक टायर महंगे होते हैं या ट्यूब वाले
ट्यूबलेस टायर ट्यूब वाले टायरों की तुलना में ज्यादा महंगे, टिकाऊ और आसानी से रिपेयर होने वाले होते हैं.