भोपाल : मध्यप्रदेश में पटवारी भर्ती परीक्षा होने से पहले ही एक बड़ी गड़बड़ी का पता चला गया था. दो अभ्यर्थियों मनीष शर्मा और वीरभान बंसल को गिरफ्तार भी किया गया था. लेकिन, फिर भी परीक्षा को नहीं रोका गया. और न ही सभी जिलों में गड़बड़ी होने की जांच की गई. ‘किसान तक’ से जुड़े निर्मल यादव की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 18 जुलाई को इस बात का खुलासा हुआ है. जिसमें पता चला कि मध्यप्रदेश पुलिस की क्राइम ब्रांच ने परीक्षा से पहले कुछ खुफिया सूचनाएं जुटाई थीं.
गिरफ्तार हुए थे दो अभ्यर्थी
सूचनाओं के आधार पर केस दर्ज़ किया गया. और मनीष शर्मा और वीरभान बंसल को गिरफ्तार भी किया गया. इन पर आरोप लगे कि ये परीक्षा में चीटिंग करने की कोशिश कर रहे थे. इसके लिए दोनों ऑफसेट प्रिंटिंग के जरिए सबूत जुटा रहे थे. दोनों आरोपी खुद भी पटवारी परीक्षा में शामिल होने वाले थे. लेकिन क्राइम ब्रांच को इस गड़बड़ की सूचना मिली. जिसके बाद इन्हें ग्वालियर के थाटीपुर इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया.
दोनों से पूछताछ में कई और जानकारियां भी सामने आईं. उनके साथ कई और लोगों के भी शामिल होने के बारे में पता चला. उन्होंने बताया कि वे पटवारी परीक्षा में वास्तविक परीक्षार्थियों की जगह सॉल्वर बिठाने वाले थे. यानी पेपर कोई और देता. दस्तावेज़ों में नाम किसी और का होता.
आधार से छेड़छाड़ करने की कोशिश
आरोपी इसके लिए आधार जैसे दस्तावेजों को बदलने की जुगाड़ में थे. वे आधार में दर्ज़ अंगुली के निशान को सॉल्वर की अंगुलियों के निशान से बदलने वाले थे. इसी समय पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया.
ग्वालियर के अपराध शाखा थाने में उपनिरीक्षक शिशिर तिवारी ने इस केस की FIR लिखी. इसमें कहा गया है कि इस मामले में मुख्य आरोपी मनीष शर्मा और वीरभान बंसल हैं. इनके साथ रिंकू रावत, कृष्णवीर जाट और संदीप सिंह भी इसमें शामिल हैं. पुलिस ने बाकी आरोपियों को भी गिरफ्तार किया है. और मामले की जांच चल रही है.
हाईकोर्ट ने दोनों को दी जमानत
मामला हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच पहुंचा. यहां 10 जून को दोनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया. इस मामले की पैरवी वकील एमपी सिंह कर रहे हैं. उन्होंने किसान तक से बातचीत में बताया,
“इस मामले में एफआईआर दर्ज होने और जांच शुरू होने में बहुत समय लगा. इसके बाद ग्वालियर में जिस तरह से ये मामला पकड़ में आया है, उससे सरकार ने इसको रोक तो लिया, लेकिन बाकी शहरों में भी क्या इस तरह के मामले पकड़ में आने की आशंका नहीं थी?” रिपोर्ट के मुताबिक, इन सवालों पर सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा है. पुलिस भी इस मामले पर पूरी तरह चुप है. लेकिन, सवाल तो उठेगा ही कि एक जगह मामला पकड़ में आने के बाद भी अन्य शहरों में पुलिस एक्टिव क्यों नहीं हुई?