नई दिल्ली: कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के निर्वाचन क्षेत्र वायनाड में कांग्रेस इन दिनों बड़ी मुश्किल में फंस गई है। इसकी वजह वायनाड में एक स्थानीय कांग्रेस नेता और उनके बेटे के द्वारा आत्महत्या करना है। आत्महत्या करने वाले नेता का नाम एनएम विजयन और उनके बेटे का नाम जिजेश है। सीपीएम और बीजेपी ने आत्महत्याओं के इस मामले को उठा लिया है। दोनों ही राजनीतिक दलों ने कांग्रेस नेताओं पर सहकारी बैंक में कथित तौर पर नौकरी के बदले पैसे लेने का घोटाला करने का आरोप लगाया है।
बीजेपी और सीपीएम के आरोपों के जवाब में वायनाड जिला कांग्रेस के अध्यक्ष ने कहा है कि उन्होंने पार्टी के प्रदेश नेतृत्व से अपील की है कि इस घटना और मामले में लगे आरोपों की जांच होनी चाहिए।
4 लाख से ज्यादा वोटों से जीती थीं प्रियंका
याद दिलाना होगा कि प्रियंका गांधी ने वायनाड से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया है। नवंबर में हुए लोकसभा उपचुनाव में उन्होंने यहां से चार लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। वायनाड को कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट माना जाता है क्योंकि 2009 में जब इस लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे तब से कांग्रेस यहां लगातार जीत दर्ज करती आ रही है। राहुल ने 2024 में अमेठी और वायनाड दो सीटों से जीत दर्ज की थी लेकिन नियमों के लिहाज से उन्होंने वायनाड सीट छोड़ दी थी। वह 2019 में भी यहां से चुनाव जीते थे।
विजयन और उनके बेटे जिजेश ने बीते मंगलवार को जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। जिजेश एक दुर्घटना में घायल होने के बाद लंबे वक्त से बिस्तर पर ही थे। पुलिस का का कहना है कि उसे इस मामले में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है और परिवार की ओर से भी किसी तरह की कोई शिकायत नहीं दी गई है लेकिन पुलिस ने नेचुरल डेथ का मामला दर्ज कर लिया है।
विजयन परिवार के एक नजदीकी शख्स ने कहा है कि कुछ साल पहले अपनी पत्नी की मौत के बाद से ही विजयन अकेले पड़ गए थे। एक दुर्घटना के बाद से जिजेश भी बिस्तर पर ही थे। जिजेश उस सहकारी बैंक के कर्मचारी हैं, जिसे लेकर सीपीएम और बीजेपी ने आरोप लगाए हैं। दुर्घटना के बाद से ही जिजेश छुट्टी पर थे।
कौन थे एनएम विजयन?
एनएम विजयन वायनाड जिला कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष थे। विजयन सुल्तान बाथरी पंचायत के अध्यक्ष रह चुके थे। इससे पहले वह पार्षद भी रहे थे। विजयन एक दशक से ज्यादा वक्त तक कांग्रेस के जिला पदाधिकारी रहे थे और कोषाध्यक्ष बनने से पहले उन्होंने कई वर्षों तक महासचिव के पद पर काम किया था।
सीपीएम और बीजेपी ने क्या आरोप लगाए?
केरल बीजेपी के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने इस मामले में सुल्तान बाथरी से कांग्रेस के विधायक बालाकृष्णन की गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता और उनका बेटा कोऑपरेटिव बैंकों में हुई धोखाधड़ी के शिकार बने हैं। दूसरी ओर, सीपीएम का कहना है कि विधायक बालाकृष्णन और पार्टी के नेतृत्व पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
सीपीएम का कहना है कि कांग्रेस के नेताओं ने सहकारी बैंक में नौकरी दिलाने का वादा करके लोगों से लाखों रुपये हड़प लिए थे लेकिन नौकरियां नहीं दी। पैसे देने वाले लोग चाहते थे कि विजयन और अन्य नेता जिन्हें पैसे दिए गए हैं, वे पैसे वापस कर दें। सीपीएम का कहना है कि इस वजह से ही विजयन और उनके बेटे को आत्महत्या का कदम उठाना पड़ा।
इस दौरान “नौकरी के समझौते” की एक कॉपी भी सामने आई है, जिसमें लिखा है कि सुल्तान बाथरी सहकारी बैंक में नौकरी के लिए 30 लाख रुपए दिए गए थे। वायनाड जिला कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पद पर रहते हुए विजयन ने वादा किया था कि नौकरी नहीं मिलने पर पैसे वापस कर दिए जाएंगे।
बालाकृष्णन ने आरोपों को बताया “फर्जी”
कांग्रेस विधायक बालाकृष्णन ने सभी आरोपों को पूरी तरह फर्जी बताया है। उन्होंने कहा है कि जब वह सहकारी बैंक के अध्यक्ष के पद पर थे तो उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त स्टैंड लिया था। उन्होंने कहा कि सच सामने आना चाहिए और उन सभी लोगों के नाम उजागर होने चाहिए जो लेनदेन में शामिल थे।
मामले में विवाद के बढ़ने के बाद कांग्रेस ने कहा है कि सच्चाई सामने आनी चाहिए लेकिन केरल में लेफ्ट के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) की सरकार है। LDF गठबंधन और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) के बीच केरल में कड़ी राजनीतिक लड़ाई है।
अगर केरल की सरकार ने आत्महत्याओं के इन मामलों की बारीकी से जांच करवाई और जांच में कुछ ठोस मिला तो निश्चित रूप से कांग्रेस और प्रियंका गांधी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।