देहरादून। हरिद्वार के बहुचर्चित जमीन घोटाले में धामी सरकार ने डीएम कर्मेंद्र सिंह और आईएएस वरुण चौधरी को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही पीसीएस अजयवीर भी निलंबित कर दिए गए हैं। इस संबध में की गयी जांच में पाया गया कि जमीन खरीदने में इन अफसरों द्वारा अनदेखी और लापरवाही की गई है।
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में हुए 2 हेक्टेयर से ज्यादा के भूमि खरीद घोटाले में जिलाधिकारी पर गाज गिर गई है। शहरी विकास विभाग ने प्रारंभिक जांच के लिए आईएएस रणवीर सिंह चौहान को जांच अधिकारी बनाया था। जांच अधिकारी ने अपनी जांच में हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह जो नगर निगम के प्रशासन भी थे, उनको अपने पदीय दायित्वों की अनदेखी करने, प्रशासक के रूप में भूमि की अनुमति प्रदान करते हुए निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं करने और नगर निगम के हितों को ध्यान में नहीं रखने, शासनादेशों की अनदेखी करने एवं नगर निगम अधिनियम 1959 की सुसंगत धाराओं का उल्लंघन करने का प्रथम दृष्टया उत्तरदायी पाया है।
इसके बाद उनके खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों को लेकर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। इसके साथ ही राज्यपाल की ओर से आईएएस कर्मेंद्र सिंह के खिलाफ अनुशासनिक/कार्रवाई करने की स्वीकृति भी दे दी गई है। आईएएस वरुण चौधरी और पीसीसीए अजयवीर भी निलंबितरू इसके साथ ही एक और आईएएस वरुण चौधरी को भी इस मामले में सस्पेंड किया गया है। तीसरे अधिकारी के रूप में पीसीएस अधिकारी अजयवीर का निलंबन हुआ।
इस तरह एक साथ तीन प्रशासनिक अफसरों पर हरिद्वार जमीन खरीद घोटाले में गाज गिरी है। हरिद्वार जनपद के ग्राम सराय में नगर निगम ने 2.3070 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी। नगर आयुक्त की आख्या में जमीन खरीद में गड़बड़ी पाई गई थी। इस मामले में वित्त अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ था।
इसके साथ ही एक मई को राज्य सरकार ने इस मामले में नगर निगम आयुक्त की आख्या में प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितता मिलने पर 4 अफसरों जिनमें अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट, सहायक अभियंता आनंद सिंह मिश्रवान और अधिशासी अधिकारी रविंद्र कुमार दयाल को सस्पेंड कर दिया था। अब 3 जून को दो आईएएस और एक पीसीएस अफसर के निलंबन के साथ ही निलंबित अफसरों की संख्या 7 हो गई है।
हरिद्वार डीएम पद से सस्पेंड आईएएस कर्मेंद्र सिंह को फिलहाल निलंबन अवधि में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता विभाग उत्तराखंड शासन के कार्यालय से संबद्ध कर दिया गया है। गौरतलब है कि हरिद्वार जनपद में आचार संहिता के दौरान नगर निगम ने साल 2024 में 33 बीघा जमीन खरीदी थी. आरोप है कि इस जमीन की कीमत कुछ लाख रुपए बीघा थी, लेकिन निगम और जिले के कुछ अधिकारियों ने कृषि भूमि को 143 में दर्ज करवाकर 58 करोड़ रुपए में खरीद लिया था।