मुंबई : महाराष्ट्र में भाजपा का साथ छोड़ना उद्धव ठाकरे को बहुत महंगा पड़ रहा है. अब वे अपना सियासी वजूद बचाने की जुगत में लग गए हैं. सूत्रों की मानें तो वे एनसीपी और कांग्रेस को साथ लेकर चलने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. हाल ही में एनसीपी प्रमुख और अजीत पवार के बयान से महाराष्ट्र की सियासत का अलग रुख देखने को मिला है. शरद पवार ने कहा है कि उनकी इच्छा साथ चलने की है लेकिन यह सर्फ इच्छा ही है. वहीं, अजीत पवार की सीएम बनने की लालसा अब भी बरकरार है.
मुद्दा यह है कि शिवसेना के 16 बागी विधायकों की सदस्यता का मसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट कभी भी फैसला सुना सकता है. फैसला अगर उद्धव के पक्ष में आया तो इन विधायकों की सदस्यता रद्द होना तय है. इस स्थिति में भाजपा और एकनाथ शिंदे की पार्टी की सरकार के लिए भी समस्या खड़ी होगी. विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद भाजपा-शिंदे सरकार अल्पमत में आ जाएगी.
राज्य की मौजूदा सियासी स्थिति को भांपते हुए उद्धव ठाकरे समय से पहले ही चुनाव कराने की बातें जोर-शोर से कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि भाजपा इस स्थिति से अंजान है. भाजपा ने भी अपने सियासी घोड़े खोले हुए हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है क्या महाविकास अघाड़ी पहले की तरह साथ चलेगी? उद्धव की पार्टी, शरद पवार की पार्टी और कांग्रेस आगे भी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे या नहीं?
सूत्रों की मानें तो यह सब देखते हुए उद्धव ठाकरे ने शरद पवार के सामने सरेंडर कर दिया है. वे महाविकास अघाड़ी का नेतृत्व जरूर कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने सीएम पद की लालसा छोड़ दी है. वे अजीत पवार को सीएम बनाए जाने के लिए भी रजामंद है. उनका मकसद सिर्फ भाजपा-शिंदे पार्टी को शिकस्त देना ही रह गया है.
इस बीच पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति में चर्चा यह भी है कि NCP नेता और नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार समेत 40 विधायक बगावत की तैयारी कर रहे हैं. कहा तो यह भी जा रहा है कि वह जल्द ही बीजेपी के साथ जाएंगे. बेशक अजित पवार ने खुद सफाई दी है कि ये तमाम अफवाहें मीडिया के सामने आ रही हैं. हालांकि यह भी एक सच्चाई है कि उनकी बगावत की बातें अभी थमी नहीं हैं.
साथ ही अजीत पवार ने बयान दिया था कि वे मुख्यमंत्री पद का चुनाव लड़ने को तैयार हैं. इन सब चर्चा के बीच ही सूत्रों के हवाले यह जानकारी सामने आई है कि उद्धव ठाकरे ने महा विकास अघाड़ी के अस्तित्व को बचाने और अजित पवार को मुख्यमंत्री पद के लिए बड़ा कदम उठाया है.