नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यूक्रेन द्वारा रूस के एयरबेस पर किए गए FPV ड्रोन हमले को हाल के समय की सबसे रणनीतिक और इनोवेटिव सैन्य कार्रवाइयों में से एक माना जा रहा है. इस हमले ने न सिर्फ रूस की सैन्य संरचना को झटका दिया बल्कि पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि अब युद्ध के तरीकों में कितनी तेजी से बदलाव आ रहा है.
भारत के डिफेंस एक्सपर्ट्स और पूर्व सेना अधिकारी कर्नल देवेश सिंह (रिटायर्ड) ने आजतक से बातचीत में कहा कि यह हमला न सिर्फ शानदार योजना का हिस्सा था बल्कि यह भविष्य के युद्ध की झलक भी है. उन्होंने कहा, “यूक्रेन का यह ऑपरेशन ‘स्पाइडर वेब’ बेहद सुनियोजित था. यह बिल्कुल वैसा ही था जैसा कभी इजरायल ने ‘पेजर अटैक’ के दौरान किया था.”
कर्नल देवेश के मुताबिक, यूक्रेन ने ऐसे FPV (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन का इस्तेमाल किया जो कम लागत वाले, तेज रफ्तार वाले और बेहद छोटे साइज के थे. ये ड्रोन ट्रकों की छत के अंदर छिपाकर रूसी एयरबेस के पास पहुंचाए गए. उन्होंने बताया, “इन ड्रोन को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया था, जिससे इनकी रेंज 18 से 20 किलोमीटर तक बढ़ गई थी. इनकी हाई स्पीड और छोटे आकार के कारण ये रूसी रडार की पकड़ में नहीं आए.”
इस ऑपरेशन के तहत जिन एयरक्राफ्ट को नुकसान पहुंचाया गया उनमें Tu-95, Tu-22, और AWACS (A-50) शामिल हैं. ये सभी रूस के रणनीतिक और लॉन्ग-रेंज हमले में इस्तेमाल होने वाले विमान हैं जो यूक्रेनी शहरों पर मिसाइल हमलों में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस ऑपरेशन में न सिर्फ यूक्रेनी एजेंसियों की प्लानिंग शामिल थी बल्कि किसी अन्य देश की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता.
कर्नल देवेश ने यह भी बताया कि यूक्रेनी ऑपरेशन की सबसे खास बात उसकी गोपनीयता थी. यह एक कोवर्ट ऑपरेशन था जिसमें मानवीय खुफिया तंत्र, तकनीक और सैन्य समझदारी का जबरदस्त मेल दिखा. उन्होंने यह भी बताया कि हमले के बाद यूक्रेन ने उन ट्रकों को भी नष्ट कर दिया जिनमें ये ड्रोन ले जाए गए थे, ताकि सबूत मिटाया जा सके.
उन्होंने कहा, “यह यूक्रेन का अब तक का सबसे बड़ा हमला है. और भारत ने भी ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद अब अपने ड्रोन सिस्टम और एयर डिफेंस टेक्नोलॉजी को और बेहतर करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है.”
भारत भी ले रहा सबक, शुरू हुई FPV ड्रोन की तैनाती
यूक्रेन के इस ऑपरेशन से मिले सबक के बाद भारत भी अब भविष्य के युद्धों के लिए तैयारी में जुट गया है. भारतीय सेना ने मार्च 2024 में पांच FPV ड्रोन की पहली खेप अपने बेड़े में शामिल की. आने वाले वर्षों में कुल 100 FPV ड्रोन सेना में शामिल किए जाएंगे.
हालांकि, ये संख्या अभी कम है, लेकिन यह भारत की रणनीति में आए बदलाव की ओर इशारा करता है. भारतीय सेना अब घरेलू स्तर पर विकसित किए गए और टेस्ट किए गए ड्रोन पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि आत्मनिर्भरता के साथ तकनीकी मजबूती भी हासिल की जा सके.
इन ड्रोन को चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL) के साथ मिलकर विकसित किया गया है. सेना द्वारा शामिल किया गया FPV ड्रोन एंटी-टैंक पेलोड से लैस है, जो इसे आधुनिक युद्ध में उपयोगी बनाता है.
क्या है FPV ड्रोन की खासियत?
FPV ड्रोन का मतलब है फर्स्ट पर्सन व्यू ड्रोन. इसे ऑपरेटर सीधे एक कैमरे के जरिए कंट्रोल करता है और उसे ऐसा अनुभव होता है जैसे वह खुद उस ड्रोन के अंदर बैठा है. इन ड्रोन की स्पीड तेज होती है, लागत कम होती है और इन्हें आसानी से किसी भी स्थान पर पहुंचाया जा सकता है. इसलिए ये कम समय में टार्गेट तक पहुंचने और हमला करने में सक्षम होते हैं.