नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों के सात चरण के हाई वोल्टेज चुनाव अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दावे के साथ समाप्त किया कि जनता उन्हें लगातार तीसरी बार कार्यकाल देने जा रही है. उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन ने अभी तक अपने प्रधानमंत्री की घोषणा तक नहीं की है. लेकिन जब 4 जून को परिणाम आए तो वो बीजेपी और उसके समर्थकों के लिए हैरान करने वाले थे. जो बीजेपी लगातार तीसरी बार अपने दम पर सरकार बनाने का दम भर रही थी, वो बैकफुट पर नजर आई. बीजेपी को अपने दम पर 240 सीटें मिलीं लेकिन वो बहुमत के आंकड़े से काफी दूर रह गई. लेकिन उसके गठबंधन (एनडीए) ने 292 सीटें हासिल कर जरूरी 272 के आंकड़े को पार कर लिया.
1989 के बाद से 2014 तक लगातार लोकसभा में खंडित जनादेश आया और गठबंधन की सरकार रही हैं. गठबंधन की सरकार चलाना कोई हंसी खेल नहीं है. छह मौकों पर जब एक गैर-कांग्रेसी, गैर-भाजपा नेता ने गठबंधन की सरकार चलाई तो तो वे पूरे पांच साल का कार्यकाल नहीं निभा पाए. ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि देश में बनी पहली गठबंधन सरकार किसकी थी और यह कितने दिन चली. और अब तक देश में कितनी बार गठबंधन की सरकार बन चुकी है.
इंदिरा गांधी का चुनाव हुआ अमान्यइलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12 जून, 1975 को फैसला सुनाया कि 1971 में लोकसभा के लिए इंदिरा गांधी का चुना जाना चुनावी धोखाधड़ी के कारण अमान्य किया जाता है. लगभग चार साल के बाद, अदालत ने उन्हें भ्रामक चुनावी तरीकों, ज्यादा चुनाव खर्च और राजनीतिक कारणों से सरकारी संसाधनों काे अनुचित इस्तेमाल को दोषी ठहराया. अदालत ने फैसला सुनाया कि उनकी संसदीय सीट खाली कर दी जाए और वह अगले छह साल तक किसी भी पद के लिए चुनाव नहीं लड़ सकतीं. वह अब इस पद पर नहीं रह सकतीं क्योंकि संविधान के अनुसार प्रधानमंत्री को लोकसभा या राज्यसभा में से किसी एक का प्रतिनिधित्व करना अनिवार्य है.
लगा दी थी इमरजेंसीइस फैसले से तिलमिलाई इंदिरा गांधी ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया. उन्होंने प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के डर से देश में आपातकाल की घोषणा कर दी. हालांकि 1977 में, इंदिरा गांधी ने मतदाताओं को अपने नेतृत्व का बचाव करने का अवसर देने के लिए चुनावों की घोषणा की. इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल हटाए जाने के बाद, मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी गठबंधन सत्ता में आया. गांधीवादी नेता जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में, सहयोगी दल बाद में एकजुट होकर जनता पार्टी बन गए. इससे भारत में गठबंधन सरकार के गठन से गठबंधन राजनीति का युग शुरू हुआ.
मोरारजी बने पहले गैरकांग्रेसी पीएम 1977 में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की अगुआई वाली जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में कुल 13 दल शामिल थे. यह देश की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार थी. हालांकि, चौधरी चरण से मतभेदों के चलते वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और उन्होंने इस्तीफा दे दिया. मोरारजी देसाई 24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979 तक प्रधानमंत्री रहे. उनके बाद जनता दल (सेक्युलर) के चौधरी चरण सिंह 1980 में प्रधानमंत्री बने. हालांकि, वे भी कुछ समय तक ही पद पर बने रह सके. चौधरी चरण सिंह की सरकार अल्पमत में थी. उसे कांग्रेस का समर्थन मिला हुआ था, लेकिन जब लोकसभा में विश्वास मत हासिल करने की बारी आई तो कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार गिर गई. चरण सिंह 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक प्रधानमंत्री पद पर रहे. देश में पहले आम चुनाव (1952) के बाद से 72 साल के संसदीय सफर में 31 साल गठबंधन सरकारों का दौर रहा है. एक फिर देश एक और गठबंधन सरकार का साक्षी बनेगा.