नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है कि विमान का विचार राइट बंधुओं ने नहीं बल्कि वैदिक काल के ऋषि भारद्वाज ने प्रस्तुत किया था। राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ के नवम दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए छात्रों को अपने पूर्वजों द्वारा किए गए अद्वितीय अनुसंधान और खोज की सराहना करने के लिए प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अध्ययन करने को कहा।अपने संबोधन में पटेल ने भारतीय संस्कृति और प्राचीन ज्ञान की समृद्ध विरासत पर प्रकाश डाला।
ऋषि-मुनियों ने कई शोध और आविष्कार किए
उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने कई शोध और आविष्कार किए हैं, जिनका लाभ आज दुनिया उठा रही है। राज्यपाल ने ऋषि भारद्वाज का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने (ऋषि भारद्वाज ने) विमान की परिकल्पना की थी लेकिन इसका श्रेय अन्य देश को मिल गया और अब इसे राइट ब्रदर्स का आविष्कार माना जाता है।
वैदिक युग के प्रमुख ऋषि भारद्वाज का उल्लेख हिंदू महाकाव्यों रामायण और महाभारत दोनों में मिलता है। आरविल राइट और विल्बर राइट, जिन्हें राइट बाकी पेज 8 पर ब्रदर्स के नाम से जाना जाता है, को 17 दिसंबर 1903 को अमेरिका के उत्तरी कैरोलाइना में पहला स्वचालित विमान उड़ाने का श्रेय दिया जाता है। हालांकि भाजपा के कुछ नेता यह तर्क देते रहे हैं कि उड़ने वाली इस मशीन की अवधारणा रामायण के पुष्पक विमान से प्रेरित है।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान प्रस्तुत एक शोध पत्र में दावा
दिलचस्प बात यह है कि 102वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान प्रस्तुत एक शोध पत्र में दावा किया गया था कि शिवकर बापूजी तलपड़े ने राइट बंधुओं से आठ साल पहले 1895 में चौपाटी के ऊपर एक मशीन उड़ाई थी। पायलट प्रशिक्षण संस्थान के सेवानिवृत्त प्राचार्य द्वारा प्रस्तुत इस शोध पत्र की कुछ वैज्ञानिकों ने तीखी आलोचना की थी, जिनका तर्क था कि यह शोध पत्र अनुभवसिद्ध साक्ष्य की प्रधानता को कमजोर करता है, जो 102 वर्ष पुरानी कांग्रेस की नींव रही है।
राज्यपाल पटेल ने सोमवार को दीक्षांत समारोह में कहा कि हमारे प्राचीन ग्रंथों में ऐसे अनगिनत ज्ञान छिपे हुए हैं, जिन्हें विद्यार्थियों को पढ़ने और समझने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि विद्यार्थियों को हमारी प्राचीन पुस्तकों के अध्ययन के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि उन्हें यह समझ में आ सके कि हमारे पूर्वजों ने कितना अद्वितीय शोध और आविष्कार किया था, क्योंकि ये पुस्तकें ज्ञान का भंडार हैं।