देहरादून: लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अभी से तैयारी में जुटी हुई है. लेकिन उत्तराखंड की एक सीट पार्टी के लिए मुसीबत का सबब बनती नजर आ रही है. हरिद्वार (Haridwar) लोकसभा सीट पर दो दिग्गजों की दावेदारी से कांग्रेस असमंजस में है. पूर्व मुख्मयंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) हरिद्वार के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं. 23 सितंबर को उन्होंने किसानों के साथ सीएम आवास का घेराव करने की घोषणा की है. हरीश रावत की मांग है कि आपदा में हुए नुकसान का किसानों को मुआवजा दिया जाए. दूसरे दिग्गज हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) भी हरिद्वार लोकसभा सीट से ताल ठोंकने की तैयारी में हैं.
हरिद्वार लोकसभा सीट पर दो दिग्गजों की दावेदारी
हरिद्वार में डेरा जमाए हरक सिंह रावत लोगों को चुनाव लड़ने का भरोसा भी दिला रहे हैं. बता दें कि हरीश रावत पहले हरिद्वार का लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. पूर्व सांसद होने के साथ हरीश रावत मुख्यमंत्री का पद भी संभाल चुके हैं. कद को देखते हुए कांग्रेस के लिए हरीश रावत का टिकट काटना चुनौती से कम नहीं होगा.
हरक सिंह रावत बीजेपी बगावत कर कांग्रेस में आए हैं. सीबीआई की रडार पर आए हरक सिंह रावत ने कांग्रेस को हरिद्वार बीजेपी में तोड़फोड़ का भरोसा दिलाया है. उनका कहना है कि लोकसभा का टिकट मिलने पर हरिद्वार के बीजेपी कार्यकर्ताओं को तोड़कर कांग्रेस में शामिल कराएंगे. जोड़तोड़ में माहिर हरक सिंह रावत की दावेदारी ने कांग्रेस की मुसीबत बढ़ा दी है.
क्या माथापच्ची के बाद तोड़ निकाल पाएगी कांग्रेस?
लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की स्थिति दोराहे पर आ गई है. कांग्रेस को हरीश रावत के हरिद्वार से टिकट देने पर हरक सिंह रावत की बगावत का डर है. हरक सिंह रावत को टिकट मिलने पर हरीश रावत भी कांग्रेस को तेवर दिखा सकते हैं. कांग्रेस मुसीबत से निकलने के लिए माथापच्ची करने में जुटी हुई है. हरक सिंह रावत बसपा के बाद बीजेपी में गए थे.
बीजेपी से बगावत कर उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. उनके लिए पार्टी बदलना बड़ी बात नहीं है. लोकसभा चुनाव के समय हरक सिंह रावत का पाला बदलना कांग्रेस को मुश्किल में डाल सकता है. हरीश रावत मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहे हैं. उनको नाराज कर कांग्रेस उत्तराखंड में जनाधार नहीं खोना चाहेगी. ऐसे में कांग्रेस के लिए हरिद्वार लोकसभा सीट मुसीबत का सबब बन चुकी है.