देहरादून : उत्तराखंड में पानी का बिल देने वालों को पर्याप्त पानी नहीं मिलता, दूसरी ओर राज्य में बड़ी संख्या में पानी चोर मौज कर रहे हैं। जल संस्थान के ही आंकड़ों के अनुसार राज्य के कुल 100 शहरों में कुल 8.24 लाख परिवार हैं। कनेक्शन सिर्फ 4.64 लाख घरों में ही हैं। पानी चोरों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर 2017 में विजिलेंस सेल का गठन किया गया।
लेकिन इस सेल ने आज तक किसी पानी चोर के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ मार्च के महीने में खानापूर्ति करते हुए कुछ कनेक्शनों को नियमित करा दिया जाता है। देहरादून नगर निगम क्षेत्र में ही घरों की संख्या ढाई लाख के करीब है, लेकिन यहां पानी के कनेक्शन सिर्फ 1.71 लाख हैं। जबकि इन कनेक्शनों में कमर्शियल कनेक्शन भी शामिल हैं।
इससे साफ है कि शेष घरों में पानी के कनेक्शन की कोई जानकारी विभाग को नहीं है। हरिद्वार, रुद्रपुर, हल्द्वानी, नैनीताल समेत अन्य शहरों की भी यही स्थिति है। इसके बावजूद पानी चोरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। विभाग की इस लापरवाही का नुकसान उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है, जो नियमित रूप से पानी का बिल जमा करा रहे हैं।
पानी की मांग और उत्पादन में है बड़ा अंतर
राज्य के 100 शहरों के हिसाब से पानी की कुल मांग 833.77 एमएलडी है। इसकी तुलना में ट्यूबवेल, ग्रेविटी, सिंचाई के ट्यूबवेल समेत तमाम स्रोतों से कुल 649.86 एमएलडी पानी ही उपलब्ध हो रहा है। अभी भी 183.91 एमएलडी पानी की कमी है।
पुलिस अफसर नहीं दिखा रहे सेल में दिलचस्पी
जल संस्थान के विजिलेंस सेल में पुलिस के अफसर भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। अभी तक किसी भी एक अफसर तो क्या सब इंस्पेक्टर स्तर तक के कर्मचारी ने ज्वाइन नहीं किया है। जल संस्थान की ओर से पुलिस विभाग से सेल के लिए स्टाफ उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है।