- राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने कहा ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से फार्मा सेक्टर को लगेंगे पंख
- 249 औषधि निर्माण इकाइयां, हजारों लोगों को मिला है प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार
- शिकायत के लिए बना है टॉल फ्री नं. 1800 180 4246
देहरादून। उत्तराखंड औषधि निर्माण में देश का प्रमुख हब बनने की दिशा में है। प्रदेश सरकार ग्लोबल इंवेस्टर्स सम्मिट के माध्यम से फार्मा सेक्टर को भी प्रोत्साहन दे रही है। नई औद्योगिक नीति के कारण मिले अनुकूल माहौल से राज्य में फार्मा सेक्टर में निवेश बढ़ा है।
राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह के अनुसार फार्मा कंपनियों का कारोबार लगातार बढ़ रहा है। विभाग का प्रयास है कि इन कंपनियों में उच्च गुणवत्तापूर्ण दवाएं निर्मित हों और साथ ही देश में कंपनियों की दवाओं का शेयर भी बढ़ें ताकि प्रदेश को अधिक राजस्व और रोजगार मिल सकें।
राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने बताया प्रदेश में मुख्य तौर पर हरिद्वार, सेलाकुई और पंत नगर में ड्रग्स निर्माता फार्मा कंपनियां हैं। प्रदेश में कुल 249 फार्मा कंपनियां हैं। देश में निर्मित होने वाली कुल दवाओं के उत्पादन में उत्तराखंड का योगदान लगभग 20 प्रतिशत है।
राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह के मुताबिक उत्तराखंड के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2022 के दौरान फार्मा सेक्टर में लगभग 15 हजार करोड़ का कारोबार किया। अहम बात यह है कि इसमें से 1150 करोड़ रुपये की दवाएं निर्यात की गयी।
प्रदेश में फार्मा सेक्टर से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर हजारों लोग जुड़े हैं। इस सेक्टर में निवेश और रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने बताया औद्योगिक नीति के चलते उत्तराखण्ड राज्य फार्मा हब के रूप में विकसित हो रहा है। राज्य में औषधि निर्माता फर्मों के लिए सहज वातावरण है।
आवेदन की जटिलता को समाप्त किया गया है : Tajbar Singh
औद्योगिक नीति के तहत एकल खिड़की योजना के अन्तर्गत उद्योगों की कंसेंट और अनापत्ति प्रमाणपत्रों के आवेदन एवं निस्तारण किये जाते हैं। प्रदेश में निवेश के लिए अनुकूल वातावरण, संसाधन, सुविधाएं और माहौल है। प्रदेश में मानकों के तहत उच्च गुणवत्तापूर्ण औषधियों का निर्माण हो, इसके लिए औषधि नियंत्रण विभाग सतर्क है और समय-समय पर दवाओं की गुणवत्ता और मानकों की जांच करता है।
राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने कहा सरकार के प्रयासों से निर्माता फर्मों के आवेदनों के निस्तारण हेतु केन्द्रीय औषधि मानक संगठन के सब जोन ऑफिस उत्तराखण्ड में स्थापित करवाया गया है।
फार्मा कंपनियों के लिए ऑनलाइन लाइसेंस प्रक्रिया होने के कारण आवेदन की जटिलता को समाप्त किया गया है तथा उच्च गुणवत्ता की दृष्टि से समस्त अनुज्ञप्तियां भारत सरकार एवं राज्य सरकार के संयुक्त निरीक्षण उपरान्त ही जारी किये जा रहे हैं, जिससे किसी प्रकार की अनियमिताएं न रहें।
राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने कहा दिसम्बर में आयोजित होने वाले ग्लोबल इंवेस्टर्स सम्मिट में फार्मा सेक्टर को बहुत सी उम्मीदें हैं। प्रदेश में औषधि विभाग से सम्बन्धित किसी भी प्रकार की सूचना प्राप्त किये जाने एवं किसी प्रकार की शिकायत के लिए टॉल फ्री नं. 1800 180 4246 उपलब्ध है।
औषधियों के निर्धारित मूल्य पर विक्रय किये जाने के लिए यूकेपीएमआरयू सोसायटी की स्थापना भारत सरकार के निर्देशों पर किया गया है। जिसका लाभ आम जनमानस को मिल रहा। इस सम्बन्ध में टॉल फ्री नं0 1800 180 4249 भी चालू कर दिया गया है।
राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह ने कहा सामान्यतः दुरूपयोग होने वाली मनःप्रभावी औषधियों पर नियंत्रण के उद्देश्य से राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा समस्त औषधि विक्रय प्रतिष्ठानों पर एक समय पर भण्डारण किये जाने की मात्रा निर्धारित की गयी है।