देहरादून : उत्तराखंड (Uttarakhand Madrasa) में अगले साल से मदरसों में ड्रेस कोड लागू होना है, साथ ही एनसीईआरटी का कोर्स भी इंग्लिश मीडियम में पढ़ाने की तैयारी है। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने अप्रैल 2023 से ये नए बदलाव लागू करने का फैसला किया है। उत्तराखंड के मदरसे देश के पहले मदरसे होंगे जिनमें इस तरह के बदलाव होंगे। इसे मदरसों की शिक्षा का पुष्कर सिंह धामी ( madrasa pushkar singh dhami model) मॉडल कहा जा रहा है। इसके बाद अब नजरें पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश पर की योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) सरकार पर हैं जहां हाल ही में प्रदेश भर के मदरसों का सर्वे कराया जा चुका है। यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा था कि सर्वे के बाद जो मदरसे बिना मान्यता के मिले हैं उन्हें मान्यता देकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा।
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने गुरुवार को बताया कि इंग्लिश मीडियम से एनसीईआरटी कोर्स और ड्रेस कोड के साथ मदरसों में शिक्षा देने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा। शादाब शम्स ने बताया कि वक्फ बोर्ड प्रदेश में 103 मदरसों का संचालन करता है, जिनमें से चार जिलों-देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल में स्थित सात मदरसों को ‘मॉडल’ मदरसा बनाने का भी निर्णय लिया गया है और वहां स्मार्ट कक्षाएं चलेंगी। इतना ही नहीं इन मदरसों में दूसरे धर्मों के बच्चे भी अगर चाहें तो पढ़ सकेंगे।
धर्मगुरुओं से बात कर लागू होगा ड्रेस कोड
शम्स ने बताया कि मदरसों में ड्रेस कोड के बारे में मुस्लिम धर्मगुरूओं से बात की जा रही है और उन्हें विश्वास में लेकर ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि मदरसों में जब अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई होगी तो ड्रेस कोड भी उसी तर्ज पर होगा।
मजहबी तालीम केवल एक घंटा
इस नई व्यवस्था में मदरसों में हर रोज सुबह साढे़ 6 से साढे़ 7 के बीच, केवल एक घंटे के लिए ही मजहबी तालीम दी जाएगी। इसके बाद दूसरे स्कूलों की तरह सभी विषयों की पढ़ाई होगी। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा, मदरसों में उन मुसलमानों के बच्चे जाते हैं जो बहुत गरीब होते हैं। हमारा मकसद है कि हम आखिरी पायदान पर खड़े इन बच्चों को सही दिशा दे सकें ताकि वे भी एपीजे अब्दुल कलाम के रास्ते पर चलकर देश को मजबूत करें।
यूपी में पूरा हुआ मदरसों का सर्वे
वहीं यूपी में सितंबर से नवंबर के बीच मदरसों के सर्वे हुए। इनमें 12 बिंदुओं पर फोकस रहा, जिनमें छात्रों को मिलने वाली सुविधाएं, शिक्षा और मदरसों की आय के स्रोत की जानकारी अहम थे। यह सर्वे 15 नवंबर को पूरा हुआ। इसमें पता चला है कि प्रदेश में 8500 मदरसे बिना मान्यता के चल रहे थे।
यूपी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा
राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. इफ्तिखार अहमद जावेद ने बताया कि 75 राज्यों में हुए इस सर्वे से जो जानकारी मिली है उसे आधार बनाकर इन मदरसों और इनमें पढ़ने वाले बच्चों को राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जाएगा।