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गुजरात में मिला बेहद दुर्लभ खनिज, बदल देगा देश की किस्मत

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
18/09/23
in राज्य, समाचार
गुजरात में मिला बेहद दुर्लभ खनिज, बदल देगा देश की किस्मत
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नई दिल्ली: कई उद्योगों में एक महत्वपूर्ण कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल होने वाला बेहद दुर्लभ वैनेडियम गुजरात में मिला है। खंभात की खाड़ी से जमा किए गए तलछट के नमूनों में यह पाया गया है, जो गुजरात में अलंग के पास अरब सागर में खुलती है। खास बात यह है कि इस बेशकीमती खनिज का इस्तेमाल स्टील को मजबूत करने और बैटरी बनाने के लिए किया जाता है। यह भारत में बेहद दुर्लभ है।

जीएसआई ने किया है शोध

तलछटों पर शोध करने वाले भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने सबसे पहले वैनेडियम के संभावित नए स्रोत की सूचना दी। ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित एक लेख में जीएसआई, मैंगलोर के समुद्री और तटीय सर्वेक्षण प्रभाग (एमसीएसडी) के एक शोधकर्ता बी गोपकुमार ने कहा कि यह भारत के अपतटीय तलछट में वैनेडियम की मौजूदगी की पहली रिपोर्ट है।

इसका उत्पादन बेहद महंगा

प्राकृतिक रूप से अपने शुद्ध रूप में दुर्लभ रूप से पाया जाने वाला वैनेडियम 55 से अधिक विभिन्न खनिजों में मौजूद होता है, जिससे इसका उत्पादन बेहद महंगा हो जाता है। खंभात की खाड़ी में यह टिटानोमैग्नेटाइट नामक खनिज में पाया गया है, जो पिघले हुए लावा के तेजी से ठंडा होने पर बनता है। जीएसआई के वैज्ञानिकों ने कहा कि खंभात की खाड़ी में वैनैडीफेरस टाइटैनोमैग्नेटाइट संभवतः दक्कन बेसाल्ट से मुख्य रूप से नर्मदा और तापी नदियों से निकला है। वैज्ञानिकों ने खंभात की खाड़ी में तलछट से 69 नमूने एकत्र किए थे।

रक्षा और एयरोस्पेस के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा माल

वैनेडियम रक्षा और एयरोस्पेस जैसे रणनीतिक क्षेत्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कच्चा माल है। टाइटेनियम और एल्यूमीनियम के वैनेडियम युक्त मिश्र धातुओं का उपयोग जेट इंजन घटकों और उच्च गति वाले एयरफ्रेम में किया जाता है। इनके अलावा, इस धातु का उपयोग ऊर्जा भंडारण और महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक घटकों को बनाने में भी किया जाता है। इसका इस्तेमाल ऐसी मिश्र धातुएं बनाने के लिए किया जाता है जो संक्षारण, घिसाव और उच्च तापमान के प्रति प्रतिरोधी होती हैं। इसका उपयोग वैनेडियम रेडॉक्स फ्लो बैटरी बनाने के लिए भी किया जाता है, जो बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण के लिए उपयोगी हैं। इस धातु की मौजूदगी के निशान अब तक अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा और महाराष्ट्र में पाए गए हैं।

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