ऋषिकेश : योगियों के लिए और योग सीखने वाले लोगों के लिए खुश खबरि है. योग की राजधानी कही जाने वाली तीर्थनगरी ऋषिकेश में भी अब नवनिर्मित ‘विहंगम योग इंटरनेशनल सेंटर’ स्थापित हो चुका है. सद्गुरु सदाफल देव महाराज की प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री के छोटे भाई पंकज मोदी ने किया।
इस दौरान संस्कृत छात्रों ने स्वस्तिवाचन मंत्रों का उच्चारण किया। संस्थान संस्थापक विज्ञान देव महाराज ने कहा कि योग भारतीय संस्कृति का प्राण है।सोमवार को कैलाशगेट स्थित शीशमझाड़ी में नवनिर्मित ‘योग इंटरनेशल सेंटर’ के उद्घाटन अवसर पर संस्थान संस्थापक विज्ञान देव महाराज ने पत्रकारवार्ता में बताया कि संस्थान 13 सामाजिक प्रकल्प गोपालन, वृद्धाश्रम, निर्धन छात्रों की सहायता, निर्धन कन्याओं का विवाह, स्वास्थ्य शिविर, पौध रोपण आदि पर कार्य कर रही है। साथ ही योग से आम लोगों को जोड़ने का काम हो रहा है।बताया कि निरंतर योग करने से मनुष्य का तनाव भी कम होता है और योग व्यायाम ही नहीं अपितु मनुष्य को शांति की ओर ले जाने का मार्ग भी है। उन्होंने कहा कि ध्यान भारतीय संस्कृति की पहचान है। इसे देखते हुए ऋषिकेश में विहंगम योग सेंटर प्रारंभ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपने जीवनकाल में रक्तदान अवश्य करना चाहिए। एक यूनिट रक्तदान किए जाने से तीन चार लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। इसके अलावा आश्रम वाराणसी, गुजरात में नवसारी, प्रयागराज, बलिया, हिमालय शून्य शिखर आश्रम, उत्तराखंड के पौड़ी में और गया बिहार में पहले से हैं.
बिहंगम योग पर रांची CIP और बारगेम यूनिवर्सिटी में भी रिसर्च-
वहीँ विज्ञान देव महाराज ने एक सवाल के जवाब में बताया की ऋषिकेश में आश्रम की स्थापना होने में बिलम्ब जरूर हुआ है, उन्होंने बताया महाराज जी ने 1950 में पुस्तक में लिख कर गए थे की ऋषिकेश में आश्रम की स्थापना करना है लेकिन उन्होंने माना इसमें विलम्ब हुआ. वहीँ उन्होंने बताया रांची सीआइपी और वरगेम यूनिवर्सिटी इटली में बिहंगम योग पर रिसर्च किया गया और अभी भी जारी भी है. उसमें बहुत सारी चीजें नयी पता चली 1992 इलेक्ट्रान लगा कर शोध किया गया साधकों पर, उसके बाद पता चला अल्फा तरंगे बढ़ने लगती है. इसको नाम दिया ‘रेस्ट्फुल अलर्टनेस’ का. ऐसे अवस्था को शांतिमय सचेत की अवस्था बताया. महाराज विज्ञान देव ने बताया योग पर शोध हमारे देश की तुलना में विदेशों में अधिक चल रहा है. योग का व्यावसायिक प्रयोग करना एक तरह से उन्होंने गलत बताया. वहीँ योग का नाम भी गलत तरीके से प्रयोग करने पर ऐतराज जताया. कुछ लोग अब योगा बोलने लग गए हैं योग को. जबकि योगा कोई शब्द ही नहीं है. साथ ही उन्होंने जानकारी दी गौशाला जल्द स्थापित की जायेगी ऋषिकेश क्षेत्र में. भूमि चिन्हित होने के बाद जल्द हम कोशिश करेंगे संतों, लोगों के साथ और सरकारी बिभागों, संगठनों के साथ विचार विमर्श कर इस पर काम करेंगे ताकि गौ माता को बचाया जा सके. महाराज विज्ञानदेव ने बताया ‘योगी जो है वही उपयोगी है’.
ऋषिकेश के अलावा उत्तराखंड में पौड़ी जिले में सतपुली के पास आश्रम है.सबसे पहले उत्तराखंड में सतपुली में ही आश्रम खोला गया था. उन्होंने बताया उनका संगठन एक सामाजिक संगठन है आध्यात्मिक के अलावा. रक्तदान, गौ सेवा, गरीबों की मदद में उनका संगठन काम कर रहा है. साथ ही 8 देशों में रक्तदान कार्यक्रम चलाता है. वहीँ कार्यक्रम में मौजूद ‘पंडित रवि शास्त्री ने हर्ष ब्यक्त करते हुए कहा ऋषिकेश में विहंगम योग के बारे में लोगों को काफी जानकारी प्राप्त होगी और काफी फायदा होगा. विश्व भर में कई आश्रमों की स्थापना के बाद ऋषिकेश में आश्रम स्थापित हुआ है. यहाँ से योग के साथ साथ आध्यात्म के भी दर्शन होंगे’.
इस मौके पर दौरान रामवृक्ष दास, भारत भूषण दास, ऋषिकेश के प्रसिद्द पंडित रवि शास्त्री, योगेश पाटिल, नितिन सैकड़ों संत भी मौजूद रहे.