आनंद अकेला की रिपोर्ट
भोपाल। विंध्य के वैज्ञानिक ने वो खोज कर डाली जिसकी न केवल आज पूरे विश्व बल्कि भारत को सबसे ज्यादा जरूरत है। विंध्य के सतना के वैज्ञानिक द्वारा बनाई गई किट कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने में निभाई अहम भूमिका।
सतना के युवा वैज्ञानिक डा. राम प्रमोद तिवारी ने कोरोना की जांच के लिए एक विशेष रैपिड कार्ड किट तैयार की है। युवा वैज्ञानिक तिवारी की किट को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अधीन काम करने वाले पुणे के संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी (एनआईवी) सेंटर ने अपनी मंजूरी दे दी है। इस किट में प्रयुक्त होने वाली सभी सामग्री का ऑडिट आईसीएमआर करेगा। जिसके पश्चात यह किट बाजार में सभी के लिए उपलब्ध हो जाएगी। यह किट आदमी के शरीर के अंदर मौजूद कोरोना वायरस के संक्रमण की पहचान कम से कम 10 मिनट और अधिकतम 15 मिनट में कर देगा। बाजार में यह किट की कीमत 300 रुपये से 400 रुपये के बीच में हो सकती है।
गौरतलब है कि सतना जिले के पिपरा गांव के निवासी डा. राम प्रमोद तिवारी एमआईटीएस के पूर्व डायरेक्टर प्रो. पीएस बिसेन के मार्गदर्शन में पीएचडी संपन्न की थी। एमआईटीएस से ही डा. तिवारी ने टीबी की किट पर रिसर्च कर यूएस, जापान और यूरोप के देशों से पेटेंट भी ले रखा है। वर्तमान में वह भारत की राजधानी दिल्ली में वेनगार्ड से संबंद्ध हैं, जहां उनकी कंपनी कोरोना वायरस से जांच के लिए विशेष रैपिड कार्ड किट बनाने का काम कर रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी महीने में डा. तिवारी ने कुछ सैंपल मुंबई की लैब में जांच के लिए भेजे थे, जो पूर्णतः सफल रहे। इसके बाद ही कोरोना का पता लगाने के लिए बनी इस रैपिड कार्ड किट के लिए वेनगार्ड कंपनी ने एप्रूवल मांगा था। जांच के बाद एनआईवी पुणे सहित आईसीएमआरसे इस किट अपनी मंजूरी मंजूरी दे दी है।
कुछ इस तरह से काम करती है यह किट
मरीज में कोरोना वायरस के संक्रमण है कि नहीं इसका पता लगाने के लिए इस रैपिड कार्ड किट पर तुरंत निकले खून की एक बूंद डालनी होगी। जिसके पश्चात 11 से 16 मिनट के अंदर यह किट वायरस के संक्रमण की मौजूदगी बता देगी। वर्तमान में अभी मॉड्यूक्यूलर जांच के द्वारा ही इसका पता चलता है जिसमें सात से आठ घंटे का समय लग जाता है।
पहले होगा इसका क्लीनिकल ट्रायल
बाजार में इस किट को उतारने से पहले डा. तिवारी को 100 किट के द्वारा एक क्लीनिकल ट्रायल करना होगा। यह ट्रायल देश के किसी भी हिस्से में किया जा सकता है। ट्रायल के बाद ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन को भी अगर आवश्यकता महसूस होती है तो वह इनहाउस इसका ट्रायल कर सकता है।