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क्या मेरे प्यार में कोई कमी थी?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
12/04/21
in साहित्य
क्या मेरे प्यार में कोई कमी थी?

google image

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चन्द्रशेखरचन्द्रशेखर कुशवाहा


जनस्थान में बिजली की तरह यह खबर फैल गई

कि सीता रावण के साथ भाग गई

राम जिससे भी अपनी सीता के बारे में पूछता

उत्तर सुनकर अवाक रहा जाता

बडी तेजी से फैली थी यह बात कि

राम सीता को पहले से ही पसंद नहीं था

ये तो धनुष राम ने ही तोडा इसलिए सीता को उससे शादी करनी पडी

वह अपनी इच्छा से किसी का वरण नहीं कर सकी थी

बात फैली थी कि शादी के लिए सिर्फ पराक्रम की आवश्यकता नहीं होती

जनस्थान में भटकता हुआ राम

लोगो की कानाफुसी सुनता कि इतने साल हुए एक भी बच्चा नहीं हुआ

औरत भागेगी नहीं तो क्या करेगी

कोई कहता कि अरे वह फ्राड थी

बच्चा होता तो भी भाग ही जाती

राम ये सब सुनता और पागल होता

दुनिया उसे बहुत धैर्यवान कहा करती थी

इतना कि अगर वह रोना भी चाहता तो उसे मुस्कराना पडता था

यह सब बात फैल जाने के बाद वह जनस्थान में एकात बार किसी से सीता के बारे में पूछता

और कहीं तो सिर झुकाकर निकल जाता

लोग कहते कि साला अपनी बीबी को कंट्रोल नहीं कर पाया
न जाने विश्वामित्र ने इसे क्या पढा दिया था

कहता था कि औरत का स्वतंत्र व्यक्तित्व होता है

अब ले मजा

चली गई पराए मर्द के साथ

राम कुछ चिन्हों को खोजता हुआ उधर ही चला जा रहा था

ये सोचते हुए कि क्या सीता सही मे भाग गई

क्या मेरे प्यार में कमी थी?

तो क्या सीता इतने दिन तक मुझसे प्यार नहीं करती थी?

सिर्फ प्यार का नाटक करती रही

फिर लोगो की ये कानाफूसी याद आती कि प्यार से जिंदगी नहीं चलती

जिन्दगी जिससे चलती है वह राम के पास नही है

वह तो उस मर्द के पास होगा

राम चलता जाता और उसके दिमाक में जनस्थान के लोगो की कही गई यह बात गूंजती

एक राज्य से निकाल दिए गए पुरुष के साथ सीता कैसे रह सकती थी

जिसे वनवास मिला है वह वन जाए मैं कयों जाऊ

वन आने से पहले ही सीता ने विद्रोह करना चाहा था

लेकिन पतिव्रत धर्म के चक्कर में उसने इतना कष्ट सहा था

मेरा अपना अलग जीवन है

अब वहीं व्यक्तित्व लेकर सीता रावण के साथ चली गई तो क्या बुरा किया

सीता आजाद कहाँ थी

आज सीता को उसकी पसंद का मर्द मिला

आजाद हुई

आजाद होने में बुरा क्या है

राम का दिमाक चकराने लगता

कभी वह पेड के नीचे पत्थर पर बैठकर लक्ष्मण से पानी मंगाता

तो कभी सिर की जटाएं खोलकर जूरा बाहर फेंक देता

कभी जोर से हाथ उठाकर कहता कि नहीं सीता मुझे छोडकर नही जा सकती

ये लोग झूठ बोल रहे हैं

पेड पर बैठे पक्षी उड जाते

दो चार पत्ते जमीन पर बिखर जाते

पर सीता का कहीं भी पता नहीं चलता

पागल राम पशु पक्षियो से ही पूछने लगता कि तुमने मेरी सीता को कहीं देखा है

राम जनस्थान में फैली किसी भी बात को अफ्वाह ही मानता था

पर फिर भी उसके अंदर बहुत कुछ टूटता जाता था

वह अब तक के सीता के साथ बिताए गए पूरे पल को याद करता जाता था

पुराणो के पन्नो पर बिखरा हुआ ये आशिक-राम

मैं इसकी कथा लिखने जा रहा हूँ

पढना चाहेंगे आप ………?


नोट : ये लेखक के अपने निजी विचार है l

 

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