संयुक्त राष्ट्र : भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में भारत की विकास और मौजूदा समय में अपनी अहमियत का जिक्र किया। विदेश मंत्री ने 130 करोड़ भारतीयों की तरफ से संयुक्त राष्ट्र का अभिवादन किया। जयशंकर ने कहा कि हम भारत की आजादी के 75 साल आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहे हैं। इस दौर की कहानी लाखों आम भारतीयों के परिश्रम, दृढ़ संकल्प और उद्यम की है। हम सदियों के विदेशी हमलों, उपनिवेशवाद से त्रस्त समाज का कायाकल्प कर रहे हैं और एक लोकतांत्रिक ढांचे में ऐसा कर रहे हैं। यह ‘नया भारत’ है, जो आत्मविश्वासी और पुनरुत्थानवादी समाज है। उन्होंने कहा कि भारत अधिक एकता और एकजुटता को बढ़ावा देगा। यह आतंकवाद, महामारी या पर्यावरण जैसे मुद्दों पर एक साथ आने को दर्शाता है।
सुरक्षा परिषद् में सुधार की वकालत
भारत ने आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में सुधार की वकालत की। जयशंकर ने कहा कि भारत इस साल सुरक्षा परिषद में अपनी सदस्यता का कार्यकाल पूरा कर रहा है। सत्र के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधारों को संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों का समर्थन मिला है। उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य सुधार का समर्थन करते हैं क्योंकि यह मानता है कि वर्तमान व्यवस्था अप्रभावी है। उन्होंने कहा कि भारत अधिक जिम्मेदारियां लेने के लिए तैयार है। लेकिन साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहता है कि ग्लोबल साउथ के साथ हो रहे अन्याय को दूर किया जाए। उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था सभी महाद्वीपों और क्षेत्रों का सही प्रतिनिधित्व नहीं करती है। उन्होंने कहा कि इस जटिल समय में अधिक से अधिक आवाजों को सुना जाना जरूरी है। जयशंकर ने कहा कि हमारा आह्वान है कि इस तरह के एक महत्वपूर्ण मामले पर गंभीर बातचीत को ईमानदारी से आगे बढ़ने की अनुमति देना है। इसे प्रक्रियात्मक रणनीति से अवरुद्ध नहीं किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया को हमेशा के लिए बंधक नहीं बना सकते हैं। भारत दोनों मामलों में इच्छुक और सक्षम है। हम मानते हैं और वकालत करते हैं कि यह युद्ध और संघर्ष का युग नहीं है। इसके विपरीत, यह विकास और सहयोग का समय है।
हम शांति की तरफ है, बातचीत के पक्ष में हैं
जयशंकर में मौजूदा समय में दुनिया के सामने चुनौतियों का जिक्र किया। विदेश मंत्री ने कहा जैसे-जैसे यूक्रेन संघर्ष जारी है, हमसे पूछा जाता है कि हम किसके पक्ष में हैं… भारत शांति के पक्ष में है… हम उस पक्ष में हैं जो बातचीत की मांग करता है… शांति और बातचीत के तहत काम करना हमारे सामूहिक हित में है। उन्होंने कहा कि हम इस संघर्ष का शीघ्र समाधान खोजने के पक्ष में हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि हमने अफगानिस्तान को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं और दवाएं, टीके भेजे। उन्होंने कहा कि हम ईंधन, आवश्यक वस्तुओं, व्यापार निपटान के लिए श्रीलंका को 3.8 बिलियन डॉलर का ऋण दिया है। उन्होंने कहा कि हमने म्यांमार को 10,000 मीट्रिक टन खाद्य सहायता, वैक्सीन शिपमेंट की आपूर्ति की। नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में कर्ज का जमा होना विशेष चिंता का विषय है। हमारा मानना है कि ऐसे समय में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संकीर्ण राष्ट्रीय एजेंडा से ऊपर उठना चाहिए। भारत, अपने हिस्से के लिए, असाधारण समय में असाधारण उपाय कर रहा है।
आतंकवाद किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से पाकिस्तान के साथ ही चीन पर भी निशाना साधा। विदेश मंत्री ने कहा कि दशकों से सीमा पार आतंकवाद का खामियाजा भुगतने के बाद, भारत आतंकवाद को लेकर ‘जीरो-टॉलरेंस’ दृष्टिकोण की वकालत करता है। जयशंकर ने कहा कि कोई भी बयानबाजी खून के धब्बे को ढक नहीं सकती है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद का जवाब उसके अपराधियों पर प्रतिबंध लगाकर देता है।