नई दिल्ली: भोजपुरी फिल्मों का वह सुपर स्टार जिसने एक बहुत से सामान्य गानों को अपने समाज का आइकॉन बना दिया. देश में कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक चले जाइए, हिंदी भाषियों का कोई भी समारोह पवन सिंह के लोकप्रिय सॉन्ग ‘तू लगावेलू जब लिपिस्टिक-हिलेला आरा डिस्ट्रिक्ट’ के बिना पूरा नहीं होता. गौर करिएगा यह बात भोजपुरी भाषियों के लिए नहीं, यह सभी हिंदी भाषियों के लिए कही जा रही है. करीब 2 दशक पहले आए इस गाने के बल पर पवन सिंह ने फिल्म इंडस्ट्री में अंगद की तरह पांव जमाए थे. पर बीजेपी को नाराज कर के काराकाट में चुनाव लड़ना क्या उनकी राजनीतिक शुरूआत के लिए सही है. यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि काराकाट का रास्ता निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उनके लिए इतना आसान नहीं दिख रहा है. हालांकि उनकी लोकप्रियता इस तरह के सारे दावों को झुठलानों के लिए काफी है. आइये देखते हैं कि वो कौन से कारण हैं जिनके चलते उनकी जीत की संभावनाओं को धुंधला करते हैं.
2019 का चुनाव बताता है कि उपेंद्र कुशवाहा का वोट फिक्स है
परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए काराकाट लोकसभा सीट से अब तक महागठबंधन के उम्मीदवार को यहां से जीत नहीं मिली है. काराकाट में हुए पिछले 2 लोकसभा चुनावों में मिले वोटों का विश्लेषण करें तो पाएंगे कि उपेंद्र कुशवाहा के फिक्स वोट हैं जो उन्हें हर हाल में मिलते ही हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा ने आरजेडी की कांति सिंह को 1,05,241 मतों से हराया था. इस चुनाव में जेडीयू के महाबली सिंह तीसरे नंबर पर थे और उन्हें लगभग 75 हजार वोट मिले थे. अब 2019 लोकसभा के वोट देखिए. जेडीयू के महाबली सिंह एनडीए के उम्मीदवार थे और इन्होंने रालोसपा के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा को 84,542 मतों से हराया था. मतलब कि यहां बीजेपी का अच्छा खासा वोट बैंक है तो उपेंद्र कुशवाहा का भी पर्सनल वोट है. क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी कोई बहुत बड़ी पार्टी नहीं है. रालोसपा के सर्वे सर्वा वहीं हैं.
महाबली सिंह जब एनडीए से चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें 3,98,408 वोट मिलते हैं, फिर भी उपेंद्र कुशवाहा 3,13,860 वोट हासिल करने में सफल रहते हैं. यानि कि काराकाट में करीब 3 लाख एनडीए के वोट हैं और करीब इतना ही उपेंद्र कुशवाहा का वोट है. हालांकि एक बात और है कि इस बार इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी राजाराम कुशवाहा भी उपेंद्र के ही जाति के हैं. उम्मीद है कि राजाराम कुछ तो कुशवाहा वोट काटेंगे ही. फिर भी उपेंद्र कुशवाहा को कमजोर मानना भूल ही होगा.
मोदी का जादू और लाभार्थी वोट
पहले ऐसा समझा जा रहा था कि उपेंद्र कुशवाहा को ही हराने के लिए पवन सिंह को काराकाट में बीजेपी ने उतारा है. दरअसल नीतीश कुमार से नाराज होकर ही उपेंद्र कुशवाहा उनका साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हुए थे. बीजेपी नीतीश की जगह अति पिछड़ों वोटों का दांव उनपर ही खेलने वाली थी. अब एक ही म्यान में 2 तलवार कैसे रह सकते हैं इसलिए उपेंद्र कुशवाहा को निपटाने की थियरी चल रही थी. पर नरेंद्र मोदी ने काराकाट में रैली करके स्पष्ट कर दिया है कि बीजेपी मजबूती के साथ उपेंद्र कुशवाहा के साथ है. पूरे देश में जिन सीटों पर ऐसी परिस्थितियां जन्म ले रही थीं वहां पर रैली करने से पीएम मोदी ने किनारा कर लिया था .अब काराकाट में मोदी की रैली होने के बाद बीजेपी के लाभार्थी वोट और कट्टर बीजेपी समर्थकों के वोट तो पावर स्टार पवन सिंह को मिलने से रहे. हां अपनी जाति के राजपूत वोट उन्हें जरूर मिलेंगे, इसमें कोई 2 राय नहीं हो सकती. उपेंद्र कुशवाहा को यह नुकसान तो झेलना पड़ेगा. हालांकि जिस तरह पवन सिंह प्रचार कर रहे हैं उससे देखकर नहीं लगता है कि वो बीजेपी को टार्गेट कर रहे हैं पर आम जनता को इतनी समझ नहीं होती.
काराकाट का जातिगत समीकरण
द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार काराकाट में तीन लाख से अधिक यादव वोट हैं. इसके साथ ही कुर्मी और कुशवाहा वोट भी करीब 3 लाख है. 2 लाख के करीब राजपूत वोटर्स हैं. इसके साथ ही वैश्य समुदाय के भी 2 लाख के करीब वोट हैं. एक लाख के करीब ब्राह्मण और 50 हजार के करीब भूमिहार वोट हैं. अगर अगड़ा पिछड़ा की राजनीति नहीं होती है तो उपेंद्र कुशवाहा को 3 लाख कुशवाही-कुर्मी, 2 लाख वैश्य और एक लाख ब्राह्मण -भूमिहार वोट मिल सकता है. हालांकि अब तक फिल्म स्टार्स की राजनीति का इतिहास देखेंगे तो पाएंगे कि कलाकारों को हर वर्ग का समर्थन मिलता है. जहां तक भोजपुरी स्टारडम की बात है पवन सिंह का जादू इस समय जनता के मन में सिर चढ़कर बोल रहा है. बारी बारी पूरी फिल्म इंडस्ट्री पवन सिंह के सपोर्ट में आ रही है. पर पवन सिंह को यह भी याद रखना होगा कि भोजपुरी का हर फिल्म स्टार अपना पहला चुनाव तगड़ी टक्कर देकर भी हारा है. दूसरी बात पवन सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं और उनके सामने का उपेंद्र कुशवाहा जैसा कद्दावर नेता सामने है. जिसके साथ पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री शाह भी साथ हैं. दोनों ने कुशवाहा के लिए बारी बारी काराकाट में सभा करके यह भी जता दिया है कि किसी साजिश के तहत पवन सिंह को यहां नहीं लाया गया. बीजेपी पूरी तरह से उपेंद्र कुशवाहा के साथ है.