नई दिल्ली: मणिपुर में गुरुवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कुछ दिन पहले ही अपने पद से इस्तीफा दिया था. गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अनुसार राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती, इसलिए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की जरूरत है. चलिए जानते हैं मणिपुर में राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया गया.
राष्ट्रपति शासन क्यों लागू हुआ?
सीएम एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप था. यह इस्तीफा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आया, जिसमें कथित ऑडियो लीक मामले की फॉरेंसिक जांच के निर्देश दिए गए थे. इस ऑडियो को लेकर बीरेन सिंह पर आरोप था कि मणिपुर में हिंसा उनकी वजह से भड़की है.
बिरेन सिंह के इस्तीफे के चार दिन बाद भी नया मुख्यमंत्री नहीं चुना जा सका. हालांकि, इस मुद्दे पर भाजपा के उत्तर-पूर्व संयोजक संबित पात्रा और अन्य नेताओं ने कई बैठकें कीं लेकिन कोई भी फैसला नहीं हो सका और भाजपा विधायक नए मुख्यमंत्री पर सहमति नहीं बना सके. इसके बाद से सियासी गलियारों में कई तरह के कयास लगाए जाने लगे थे.
वहीं, मणिपुर विधानसभा की पिछली बैठक 12 अगस्त 2024 को हुई थी. संविधान के अनुसार, छह महीने के भीतर (12 फरवरी 2025 तक) फिर से बैठक होनी चाहिए थी. लेकिन कोई मुख्यमंत्री न होने की वजह से विधानसभा का सेशन नहीं बुलाया जा सका.
मणिपुर में हिंसा… 250 लोगों की मौत
मई 2023 से मणिपुर जातीय हिंसा का सामना कर रहा है, जिसमें मैतेई और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष जारी है. इस हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोग मारे गए और हजारों लोग बेघर हो गए हैं. राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद अब राज्य की सभी शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होंगी. राज्यपाल की भूमिका केवल प्रतीकात्मक होगी. विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है और सभी प्रशासनिक कार्य केंद्र सरकार देखेगी. भाजपा अब भी नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए संघर्ष कर रही है. जब तक कोई नया नेता तय नहीं होता, तब तक मणिपुर केंद्र सरकार के नियंत्रण में रहेगा.