नई दिल्ली। पांच साल पहले मोदी सरकार ने आज के ही दिन जम्मू कश्मीर को लेकर बड़ा फैसला किया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त 2019 को संसद में आर्टिकल 370 को हटाने की घोषणा की थी। सरकार ने जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा वापस ले लिया और राज्य का दर्जा खत्म कर इसे दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में बांट दिया। इस दौरान घाटी में कोई बवाल न हो, इसलिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं और कई नेता नजरबंद किए गए थे। इसे लेकर विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां से कोई राहत मिली। आइए जानते हैं कि इन पांच सालों में जम्मू-कश्मीर में क्या-क्या बदलाव हुए?
5 पॉइंट में जानें जम्मू-कश्मीर में क्या हुए बदलाव?
आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद जम्मू कश्मीर में पहले की तुलना में शाति है और राज्य का विकास तेजी हो रहा है। जो भारत से कश्मीर को अलग करने की कोशिश में लगे थे, ऐसे अलगाववादी ताकतों को पूरी तरह से कुचल दिया गया है।
जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था में काफी सुधार देखने को मिला। स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन खत्म हुआ। अब पथराव की खबरें नहीं आती हैं। आम नागरिकों की हत्याओं पर रोक लगी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, नागरिकों की मृत्यु में 81 फीसदी और जवानों की शहादत में 48 फीसदी की कमी आई है।
धारा 370 हटने के बाद सरकार ने आतंकवादियों पर नकेल कसा, जिससे आतंकी घटनाओं में 70 फीसदी कमी आई। आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष 21 जुलाई तक 14 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 14 लोग मारे गए, जबकि पिछले साल 2023 में 46 आतंकवादी घटनाएं हुई थीं, जिसमें 30 जवान और 14 लोगों की जान गई थी।
केंद्र शासित प्रदेश में डीडीसी का इलेक्शन हुआ था। आर्टिकल 370 हटने से राज्य के लोगों को रिजर्वेशन का लाभ मिला, जिसमें वाल्मीकि समुदाय, ओबीसी, पहाड़ी, गुज्जर-बकरवाल, माताएं-बहनें शामिल हैं। बुनियादी ढांचों के तहत राज्य में स्वास्थ्य, पर्यटन, परिवहन, उद्योग, शिक्षा, एयरपोर्ट समेत हर सेक्टर में विकास हुआ।
अब जम्मू कश्मीर में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट बढ़ रहे हैं। बिजनेसमैन घाटी में जमीन खरीदकर उसमें कंपनियां स्थापित कर रहे हैं, जिससे राज्य में रोजगार के बढ़े हैं। केंद्र शासित प्रदेश में सदियों पुराने धार्मिक स्थलों का विकास किया जा रहा है, जिससे पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। इस साल अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हुआ।