नई दिल्ली: तमिलनाडू, केरल से लेकर कर्नाटक तक कई राज्य पिछले कुछ सालों से लगातार यह मांग उठाते रहे हैं कि उन्हें केन्द्र सरकार के बजट में उतना फंड जरूर दिया जाना चाहिए, जितना इन राज्यों से टैक्स के रूप में केन्द्र को मिलता है. इस मांग को लेकर दक्षिण भारत के राज्य दिल्ली में प्रदर्शन भी कर चुके हैं. इनका आरोप रहा है कि केन्द्र सरकार दक्षिण भारतीय राज्यों के साथ भेदभाव करती है. हाल ही में तमिलनाडू सीएम स्टालिन ने बजट 2025 के बाद भी यह मुद्दा उठाया था. इस लिस्ट में महाराष्ट्र के विपक्षी दल भी हैं जो टैक्स के बराबर फंड की मांग करते रहे हैं. अब वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने ऐसी मांगों पर जवाब दिया है.
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि कुछ राज्यों द्वारा यह मांग करना कि उन्हें सेंट्रल फंड में उनके टैक्स के योगदान के अनुपात में राशि मिले, यह छोटी और दुर्भाग्यपूर्ण सोच है. गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना है कि अगर देश को समृद्ध बनाना है तो पूर्वोत्तर के आठ राज्यों और बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड जैसे पूर्वी भारतीय राज्यों का विकास होना चाहिए. भाजपा नेता ने यह बात शनिवार (8 फरवरी) को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और स्टूडेंट्स एक्सपीरियंस इन इंटर-स्टेट लिविंग (SEIL) द्वारा यहां आयोजित ‘राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा 2025’ कार्यक्रम में कही.
‘इससे छोटी कोई सोच नहीं हो सकती’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले 11 सालों में मोदी सरकार का ध्यान पूर्वोत्तर और पूर्वी राज्यों पर रहा है. गोयल ने कहा कि मैं इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहता लेकिन महाराष्ट्र में पिछली सरकार के नेता जो ढाई साल तक सत्ता में रहे, वे (उद्धव ठाकरे सरकार) मुंबई और महाराष्ट्र द्वारा चुकाए गए टैक्स की गणना करते थे और मांग करते थे कि उन्हें सेंट्रल फंड से उतनी राशि वापस मिलनी चाहिए.
पीयूष गोयल ने कहा, ‘कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना जैसे कुछ राज्य हैं जो कहते हैं कि उन्हें उनके द्वारा चुकाए गए टैक्स की राशि वापस मिलनी चाहिए. इससे छोटी कोई सोच नहीं हो सकती.’