नई दिल्ली। ओम जाप हिंदू धर्म से भले ही जुड़ा हो लेकिन वैज्ञानिकों के बीच इसे लेकर कुछ और मान्यता है। कई डॉक्टर्स और वैज्ञानिक इसे फ्रीक्वेंसी मानते हैं। ऐसी यूनिवर्सल फ्रीक्वेंसी जो कि हमारे शरीर की कई समस्याएं सुलझा सकती है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर श्वेता अड़ातिया ने ओम के जाप से जुड़ा एक एक्सपेरिमेंट किया। इसके नतीजा आपको भी चौंका सकता है।
मंत्रों का दिल पर असर
डॉक्टर श्वेता ब्रेन साइंटिस्ट हैं। उन्हें वैदिक मंत्रों की ताकत पर काफी भरोसा है। श्वेता प्राणायाम और मंत्रों के जाप से स्ट्रेस कम करने के तरीके खोजती रहती हैं। उन्होंने एक प्रयोग किया जिसमें सामने आया कि ओम का जाप करने से आपकी हार्ट रेट वैरिएबिलिटी (HRV) कम हो सकती है।
बदल गई हार्टरेट
श्वेता ने बताया कि अगर वह अपनी हार्ट रेट के बदलाव को 90 से 60-65 तक ला सकती हैं तो ये हार्ट रेट वैरिएबिलिटी उनके दिल और दिमाग के लिए काफी अच्छी है। इसके बाद उन्होंने अपनी उंगली में पल्स ऑक्सीमीटर लगाया। इसके बाद हार्टबीट नोट की जो कि 83 थी। श्वेता ने कहा कि ओम यूनिवर्सल फ्रीक्वेंसी है जिसका किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं।
दो तरह से ओम का उच्चारण
श्वेता ने ओम का उच्चारण दो तरह से किया। पहली बार उन्होंने ओ को लंबा खींचा। ऑक्सीमीटर पर दिखाई दिया कि उनकी पल्सरेट 73 तक पहुंच गई। इसके बाद श्वेता ने ओम में म को देर तक खींचा। ऐसा करने पर उनकी हार्टबीट 69 तक आ गई।
सोने से पहले ऐसे करें उच्चारण
श्वेता ने बताया कि अगर किसी को दिमाग को एक्टिवेट करना है तो ओम में ओ का उच्चारण देर तक करें। अगर रिलैक्स फील करना है तो म का उच्चारण देर तक करें। इससे यह नतीजा निकाला जा सकता है कि आप सुबह उठकर ओम का उच्चारण करें तो ओ देर तक बोलें। सोने से पहले ओम का उच्चारण करें जिसमें म को देर तक बोलें।
दिल को दुरुस्त रखना जरूरी
बता दें कि दिल की सेहत अच्छी रखने के लिए जरूरी है कि आपका दिमाग रिलैक्स रहे। अगर आपकी हार्टबीट ज्यादा है, इसका मतलब है कि आपके दिल को ज्यादा लोड लेना पड़ रहा है। यह आपके हार्ट की सेहत के लिए जरा भी ठीक नहीं है। हार्टबीट ज्यादा होने की कई वजहें हो सकती हैं। अगर आपको हार्ट से जुड़ी ज्यादा दिक्कत रहती है तो वॉक करें, ओम जाप करें दवा का विकल्प आखिरी रखें वो भी डॉक्टर की सलाह पर।