नई दिल्ली: चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद अब इसरो अपने अगले अभियान आदित्य L1 (सूर्य मिशन) को Launch करने की तैयारी में है, जिसे इसी साल 02 सितंबर 2023 को लॉन्च किया जाएगा। भारतीय स्पेस एजेंसी (ISRO) द्वारा आदित्य-एल 1 मिशन के तहत सूर्य मंडल की परत फोटोस्फीयर व क्रोमोस्फीयर का अध्ययन किया जाएगा, साथ ही इससे निकलने वाले विस्फोटक कणों पर शोध होगा।
यहाँ हम आपको ISRO का Sun Mission, आदित्य एल 1 अभियान क्या है? Suryayan Mission Launch Date, Launch Vehicle, इसका Motive और इसके Budget तथा Payloads के साथ ही यह अपने लक्ष्य पर कब पहुंचेगा इसके बारे में जानकारी देने जा रहे है।
Aditya L1 Mission क्या है?
आदित्य L1 इसरो का सबसे कठिन और भारत का पहला सोलर मिशन है, जिसे सूरज के अध्यन के मकसद से लॉन्च किया जा रहा है। आदित्य-एल 1 स्पेसक्राफ्ट को लैग्रैन्जियन पॉइंट-1 (एल 1) के पास स्थित हेलो ऑर्बिट के चारों ओर एक प्रभामंडल की कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जो कि पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर है। ऐसा इसलिए ताकि सूर्य को बिना किसी मनोगत/ग्रहण के लगातार देखने का एक बड़ा फायदा हो।
अथार्त आदित्य-एल 1 को सूर्य की बाहरी परत कहे जाने वाले तेजोमंडल (जो हजारों किमी तक फैली है और पृथ्वी से 15 लाख़ किमी की दूरी पर स्थित है) में भेजा जाएगा। जहां से वह हमेशा सूर्य की ओर देखेगा या उस पर अपनी नजर रखेगा। आदित्य एल 1 सूर्य का अध्ययन करने वाली भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित वेधशाला होगी, यह प्रक्षेपण अंडाकार कक्षा में किया जाएगा और करीबन 110 से 127 दिनों के भीतर यह L1 बिंदु तक पहुंच जाएगा।
आदित्य एल 1 मिशन कब लॉन्च होगा?
आदित्य L1 मिशन 02 सितम्बर 2023 को इसरो (ISRO), द्वारा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान PSLV XL रॉकेट की मदद से सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया जाएगा, इस सूर्य मिशन की अवधि 5 साल (नियोजित) होगी। आपको बता दें कि Chandrayaan-2 और 3 को भी इसी स्पेस सेंटर (Space Center) से लांच (Launch) किया गया था।
चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो का अगला लक्ष्य सूर्य है। 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 मिशन के लेंडर की चंद्रमा पर सफलता पूर्वक लैंडिंग के बाद इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य एल 1 मिशन को सितंबर के पहले सप्ताह में लॉन्च किए जाने के घोषणा की थी।
इससे पहले वर्ष 2019 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व अध्यक्ष के सिवन ने अपने एक बयान में इस मिशन के बारे मे बताते हुए कहा कि, भारत सूरज (Sun) का अध्ययन करने वाला अपना पहला मिशन आदित्य-एल 1 जल्द लॉन्च करेगा। लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस अभियान में देरी हुई।
आदित्य L1 का उद्देश्य क्या है?
आदित्य-एल 1 मिशन का उद्देश्य (Motive) सूर्य मंडल की परत फोटोस्फीयर व क्रोमोस्फीयर (Photosphere and Chromosphere) तथा सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का अध्ययन करना तथा सूर्य से निकलने वाले विस्फोटक कणों पर शोध करना है।
आदित्य एल-1 सूर्य की बाहरी परतों यानी प्रभामंडल के अध्ययन के उद्देश्य से बनाया गया है, जिसका तापमान मिलियन डिग्री केल्विन से भी अधिक है। इसका उद्देश्य सूर्य का नजदीक से निरीक्षण करना तथा इसके वातावरण तथा चुंबकीय क्षेत्र के बारे में गहराई से जानकारी हासिल करना है।
पूर्व इसरो प्रमुख के सिवन ने एक प्रेस वार्ता में मीडिया से कहा, “इस मिशन का उद्देश्य बिना किसी गड़बड़ी के सूर्य पर एक स्थायी नजर बनाए रखना है। आदित्य-एल 1 सौर कोरोना का निरीक्षण करने के लिए है।” उन्होंने कहा कि अभी भी सूर्य के बारे मे सीखने और जानने के लिए बहुत सारी चीजें बाकी हैं। आज ग्लोबल वार्मिंग की समस्या और ज्यादा भयंकर हुई है। इसी तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए इसरो खास मिशन पर काम कर रहा है।
ditya L1 Mission में कितने Payloads है?
आदित्य L1 में कुल 7 पेलोड्स है जिनमें इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एस्ट्रोफिजिक्स द्वारा निर्मित विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC) इसका सबसे महत्वपूर्ण पेलोड है। इसमें लगा वैज्ञानिक कैमरा सूरज की हाई डेफिनेशन (HD) फोटोस लेगा, इसके साथ ही यह स्पेक्ट्रोस्कोपी और कोरोना/इमेजिंग करने का काम भी करेगा।
- विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC)
- सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT)
- सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)
- हाई एनर्जी एल1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS)
- आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX)
- प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA)
- एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मेग्नेटोमीटर
Aditya L1 (सूर्ययान) सूरज पर कब पहुंचेगा?
इसरो का सोलर मिशन आदित्य L1 सूरज पर लैंडिंग नहीं करेगा, बल्कि यह सूरज की कक्षा यानी लेग्रांजी बिंदु-1 पर एक सैटेलाइट या अंतरिक्ष यान की तरह इसके चक्कर लगाएगा। यही कारण है कि इसे सूर्ययान (Suryayan) या किसी अन्य यान जैसा नाम नहीं दिया गया है।
दरअसल आदित्य एल 1 स्पेसक्राफ्ट (जिसे सूर्ययान कहा जा रहा है) को धरती और सूरज के बीच मौजूद पहले लैग्रैनियन पॉइंट L1 ऑर्बिट में रखा जाएगा। जहां से यह सूरज करीब जाए बिना इसका काफी नजदीक से अध्ययन करेगा। आपको बता दें कि लैग्रैनियन पॉइंट अंतरिक्ष का पार्किंग स्पेस है, जहां उपग्रह तैनात किए जाते हैं। यह पॉइंट पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित है, जहां पहुंचने में सूर्ययान को लगभग 127 दिनों तक का वक्त लग सकता है।