नई दिल्ली: 15 अगस्त के दिन देश 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। इस दिन स्कूलों, कॉलेजों और दफ्तरों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस उत्सव को भारत के सभी धर्म के लोग मिलकर एक साथ मनाते हैं। लोगों के जश्न मनाने का तरीका अलग-अलग हो सकता है। कुछ लोग तिरंगे के रंग के कपड़े पहनते हैं। महिलाएं बिंदी, चूड़ी जूलरी भी तिंरगे के रंग की पहनती है। कुछ लोग डांस करते हैं तो कुछ भाषण देते हैं। लोग अपने घरों, दफ्तर और सार्वजनिक स्थान पर ध्वजारोहण करते करते हैं, मिठाई बांटते हैं और खुशी-खुशी जश्न मनाते हैं। क्या आप जानते हैं कि ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या अंतर है?
दरअसल, ध्वजारोहण और झंडा फहराना दो अलग-अलग कार्यक्रम होते हैं। ये दोनों कार्यक्रम 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन होते हैं। बता दें कि पंडित ज्वाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर 15 अगस्त 1947 के दिन ध्वजारोहण किया था। वहीं 26 जनवरी को राष्ट्रपति की ओर से झंडा फहराया जाता है। दोनों कार्यक्रमों का आयोजन लाल किले की प्राचीर और राज पथ पर आयोजित किया जाता है। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या अंतर होता है।
15 अगस्त के दिन ध्वजारोहण
15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के दिन ध्वजारोहण का कार्यक्रम होता है। जानकारी के अनुसार, 1947 में इस दिन ही भारत से ब्रिटिश राज का झंडा नीचे उतारकर हमारे राष्ट्रीय ध्वज ऊपर चढ़ाया गया था। बता दें कि राष्ट्रीय ध्वज को जब स्तंभ पर नीचे से ऊपर की तरफ चढ़ाया जाता है तो यह ध्वजारोहण कहलाता है। वहीं 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन झंडा फहराया जाता है। फ्लैग पोल पर पहले से ही तिरंगा ऊपर लगाकर बंधा हुआ होता है। इसके साथ अधिकतर फूलों की पंखुड़ियां भी लगी होती हैं। जब तिरंगा फहराया जाता है तो पुष्प वर्षा होती है।
15 अगस्त 1947 स्वतंत्रता दिवस के दिन पहली बार झंडा लाल किले की प्राचीर पर ब्रिटिश झंडे को नीचे उतार पहली बार चढ़ाकर ध्वजारोहण किया गया था। तबसे 15 अगस्त के दिन लाल किले की प्राचीर पर ध्वजारोहण होता है। जबकि 26 जनवरी राष्ट्रपति भवन के पास कर्तव्य पथ पर परेड से पहले झंडा फहराया जाता है।