बागेश्वर। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के अब अपने पैतृक गांव नामतीचेटाबगड़ में आने की चर्चा तेज होने लगी है। इस चर्चा से भाजपा कार्यकर्ता काफी खुश हैं। ग्रामीणों ने कहा कि राज्य और देश की सेवा करने के बाद सम्मान से गांव लौट रहे भगतदा के लौटने दिन गांव में दीवाली मनाई जाएगी।
उन्हें सात किमी तक ढोल-नगाड़ों के साथ कई तोरणद्वारों में जरिए स्वागत के साथ पैतृक गांव के गुंठी तोक लाया जाएगा। पूर्व प्रधान नारायण सिंह कोश्यारी ने बताया कि भगतदा ने जब से राज्यपाल के पद छोड़ने की इच्छा सार्वजनिक की तभी से ग्रामीणों में नई उम्मीद और उत्साह का सृजन हुआ है।
क्योंकि भगत दा ने राज्यपाल बनने के दौरान गांव भ्रमण में ग्रामीणों के समक्ष यह इच्छा जताई थी कि वे भविष्य में अपने पैतृक आवास में ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि पद छोड़ने के बाद से साफ हो गया है कि वे अब यहां आएंगे। उनका कहना है कि ग्रामीणों ने उनके आगमन को खास बनाने के लिए मंथन करना प्रारंभ कर दिया है।
तय किया है कि उनके आगमन पर सात किमी दूर से उनका ढोल नगाणों के साथ स्वागत किया जाएगा तथा गांव में उस दिन दीवाली मनाई जाएगी। ग्रामीणों ने कहा कि भगतदा के कारण ही आज हमारे गांव को लोग जानते हैं, क्यों कि भगतदा का देश में अपना व्यक्तित्व है ।
देश की जनता को अभी भी भगतदा की जरूरत
भगतदा के बचपन के मित्र और 1975 में भगतदा के साथ जेल में रहे और तब से अब तक निरंतर उनके संपर्क में रहने वाले आचार्य बसंत बल्लभ पांडे ने कहा कि भगतदा राज्यपाल का पद छोड़ तो चुके हैं, परंतु उनकी आवश्यकता गांव से लेकर देश की राजनीति में सभी को है। पांडे ने कहा कि भगतदा ने राज्य में भाजपा को नया आयाम दिया। आज भी उनकी देश समेत प्रदेश की राजनीति में आवश्यकता है।