नई दिल्ली: मोदी सरकार की अग्निवीर योजना को लेकर अभी भी विवाद की स्थिति बनी हुई है। आलम यह है कि विपक्ष लगातार हमलावर है, राहुल गांधी ने संसद से ही इस योजना के खिलाफ बिगुल फूंक चुके हैं। अब इस बीच खबर यह है कि मोदी सरकार अभी अग्निवीर योजना में किसी भी तरह के बड़े बदलाव के बारे में नहीं सोच रही है। वो आज भी इस योजना को सेना के लिए जरूरी मानती है और इसे आर्थिक नजरिए से भी सही मानती है।
सरकार के मन में क्या चल रहा?
सरकार से जुड़े कुछ लोगों का मानना है कि इस बजट में कुछ मामूली बदलाव किए जा सकते हैं, लेकिन योजना को बंद करने की कोई तैयारी नहीं है। कहा तो यह भी जा रहा है कि शायद अगले बजट में कुछ बदलाव देखने को मिले और इस बार यथास्थिति को बरकरार रखा जाए। असल में सरकार इस बात से आश्वस्त है कि उसकी अग्निवीर स्कीम ना सिर्फ सेना को युवा रखने में मदद कर रही है बल्कि डिफेंस पेंशन वाले क्षेत्र में भी आर्थिक राहत देने का काम कर रही है।
अभी एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि अग्निवीरों की वजह से सरकार का जो पैसा बचता है, उसका इस्तेमाल सेना के लिए ही अत्याधुनिक हथियारों को खरीदने में किया जा सकता है। इसी सोच की वजह से सरकार का स्टैंड योजना को लेकर अभी तक कमजोर नहीं पड़ा है और विपक्ष की तमाम आपत्तियों के बावजूद भी केंद्र कुछ भी बदलने के मूड में नहीं है।
अग्निपथ योजना क्या है?
अग्निपथ योजना पिछले साल चार साल के कांट्रैक्ट पर सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना में भर्ती करने के लिए शुरू की गई थी। 6 महीने की ट्रेनिंग के बाद चार साल के अंत में 25% तक अग्निवीरों को नियमित आधार पर सेवाओं में शामिल किया जाएगा।
इस योजना की घोषणा तब की गई थी जब सशस्त्र बल सैनिकों, नाविकों और वायुसैनिकों की भर्ती को फिर से शुरू करने पर विचार कर रहे थे, क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण लगभग दो वर्षों तक भर्तियाँ निलंबित रहीं। वर्तमान में, चिकित्सा शाखा के तकनीकी संवर्ग को छोड़कर सभी नाविकों, वायुसैनिकों और सैनिकों को इस योजना के तहत सेवाओं में भर्ती किया जाता है।