भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है क्योंकि भगवान गणेश भक्तों के सभी दुख हर लेते हैं और सभी की मनोकामनाओं को पूरी कर देते हैं. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा करने की मान्यता है. भगवान गणेश को रिद्धि-सिद्धि का दाता और शुभ-लाभ का प्रदाता माना गया है. आपने अक्सर देखा होगा कि लोग अपने घर के मुख्य द्वार के बाहर या द्वार की दीवारों पर शुभ और लाभ लिखते हैं. क्यों लिखते हैं यह और क्या है भगवान गणेशजी का इनसे से संबंध चलिए जानते हैं.
धार्मिक पुराणों में भगवान गणेश जी के परिवार के बारे में अलग से वर्णन मिलता है. यह तो आप भली भांति जानते हैं कि भगवान गणेश भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं. माता पार्वती ने गणेश जी के शरीर की रचना बुधवार के दिन की थी. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गणेश जी का विवाह ऋद्धि और सिद्धि नाम की दो कन्याओं से हुआ था. ये दोनों सगी बहनें थी और जिनमें ऋद्धि बड़ी और सिद्धि छोटी थी. कहा गया है कि पत्नि सिद्धि से पुत्र ‘शुभ’ और दूसरी पत्नि ऋद्धि से ‘लाभ’स दो पुत्र हुए थे. इसलिए लोकभाषा में इन्हें शुभ-लाभ के नाम से जाना जाता है.
कौन हैं तुष्टि और पुष्टि? क्या है इनका गणेश जी से संबंध?
गणेश पुराणों के अनुसार, शुभ और लाभ पुत्रों की पत्नि तुष्टि और पुष्टि हैं. इस प्रकार तुष्टि और पुष्टि गणेशजी की बहुएं यानी पुत्र-वधु हैं. गणेशजी के दो पोते भी थे जिनका नाम आमोद और प्रमोद है. मान्यताओं के अनुसार श्री गणेश की एक पुत्री संतोषी भी है. सनातन धर्म में माता संतोषी की महिमा के बारे में बताया गया है. शुक्रवार का दिन माता संतोषी को समर्पित माना जाता है और इस दिन उनके लिए व्रत करने की भी मान्यता है.
घर के मुख्य द्वार पर ‘स्वास्तिक’ बनाने की मान्यता है और स्वास्तिक के दाएं-बाएं गणेश जी के पुत्र शुभ और लाभ का नाम लिखा जाता है. घर के मुख्य दरवाजे पर स्वास्तिक की दोनों रेखाएं भगवान गणेश जी की पत्नी रिद्धि-सिद्धि को दर्शाती हैं. घर के बाहर मुख्य द्वार पर शुभ लिखने से घर में सुख-समृद्धि सदैव बनी रहती है. इसी प्रकार लाभ लिखने का अर्थ है कि घर की आय बनी रहे और हमेशा धन बढ़ता रहे, साथ ही कारोबार में लाभ होता रहे.
भगवान गणेश का श्री (माता लक्ष्मी) से क्या है संबंध?
माता लक्ष्मा को श्री के नाम से भी जाना जाता है. गणपति जी को माता लक्ष्मी का दत्तक पुत्र भी जाना जाता है. माता लक्ष्मी और गणेश जी के रिश्ते से जुड़ी बहुत सी पौराणिक कथाएं हैं. मान्यता है कि लक्ष्मी जी को अभिमान हो गया था कि सम्पूर्ण संसार उनकी पूजा करता है और दिन-रात उनकी आराधना करता है. भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी का घमंड दूर करने के लिए कहा कि ‘देवी भले ही सारा संसार आपकी पूजा करता है लेकिन जब तक एक स्त्री मां नहीं बनती तब तक वह अपूर्ण हैं’.
माता लक्ष्मी यह सुनकर बहुत दुखी हुईं और उन्होंने यह बात पार्वती को बतायी. माता लक्ष्मी ने पार्वती जी से उनके पुत्र गणेश को गोद देने को प्रस्ताव रखा. पार्वती जी माता लक्ष्मी का दुख दूर करने के लिए अपने पुत्र गणेश जी को गोद दे दिया और तब से ही भगवान गणेश को माता लक्ष्मी का दत्तक-पुत्र माना जाता है. अर्थात् भगवान गणेश और श्री यानी माता लक्ष्मी में माता-पुत्र का संबंध है.