धर्मशाला। आर अश्विन और रवींद्र जडेजा लाजवाब खिलाड़ी हैं. एक गेंद से कमाल करते हैं दूसरे गेंद और बल्ले दोनों से. दोनों ही खिलाड़ियों ने इंग्लैंड के खिलाफ खेली जा रही पांच मैचों की सीरीज में अब तक 17-17 विकेट लिए हैं. जडेजा तो एक शतक और एक अर्धशतक भी जड़ चुके हैं. लेकिन हमारी आज की कहानी के हीरो ये दोनों खिलाड़ी नहीं बल्कि कुलदीप यादव हैं क्योंकि इन दोनों की चमक में कई बार कुलदीप यादव सुर्खियों में नहीं आ पाते हैं. जबकि अपना काम वो भी पूरा करते हैं. इस सीरीज में वो भी 12 विकेट ले चुके हैं. इसके अलावा रांची टेस्ट में तो उन्होंने मैन ऑफ द मैच ध्रुव जुरेल के साथ कमाल की बल्लेबाजी भी की. कुलदीप आए तो नाइट वॉचमैन के रोल में थे लेकिन उन्होंने काम स्पेशलिस्ट बल्लेबाज की तरह किया. इस सीरीज में कुलदीप की गेंदबाजी में अलग पैनापन और नयापन दिखा है.
खैर, कुलदीप पर विस्तार से बात करने से पहले आपको याद दिला दें कि इस समय भारतीय टीम धर्मशाला में है. 7 मार्च से सीरीज का आखिरी मैच खेला जाना है. धर्मशाला में मौसम थोड़ा बिगड़ा हुआ है. रूक-रूक कर बारिश हो रही है. लिहाजा टीम प्रैक्टिस नहीं कर पाई है. वैसे तो अब तक सीरीज के किसी भी मैच में पांच दिन का पूरा खेल नहीं हुआ है लेकिन ये पहला मौका है जब इस सीरीज में थोड़ा समय मौसम की भेंट चढ़ते दिख रहा है. भारतीय टीम की ख्वाहिश यही होगी कि धर्मशाला में मौसम मेहरबानी दिखाए और भारतीय टीम टेस्ट सीरीज 4-1 से खत्म करे. इसका सबसे बड़ा फायदा उसे वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में होगा. जिसकी प्वाइंट टेबल में वो पहली पायदान पर पहुंच चुकी है.
अपनी गेंदबाजी में क्या नया कर रहे हैं कुलदीप?
पिछले मैच में इस सीरीज में कुलदीप यादव ने 3 टेस्ट में 12 विकेट लिए हैं. उनकी इकॉनमी 3.18 की है. उनकी औसत 22.58 है. इन शानदार आंकड़ों के पीछे है कुलदीप यादव की गेंदबाजी का वो नयापन जो इस सीरीज में देखने को मिला है. कुलदीप यादव ने अपनी गेंदबाजी में ‘गुगली’ को ‘डेवलप’ किया है, जो आफ द पिच तेज निकलने लगी है. इसके अलावा कुलदीप यादव गेंदबाजी के दौरान अपने कंधे का इस्तेमाल अब पहले से ज़्यादा कर रहे है जिसकी वजह से उनकी गेंद में ‘निप’ बढ़ गया है. कुलदीप यादव की गेंदबाजी में अनुशासन भी दिखा है. पिच पर ‘गुडलेंथ स्पाट’ पर गेंद गिराने का उनका प्रतिशत 70 से ज़्यादा हो गया है. इस बात को दूसरी तरफ से भी समझा जा सकता है कि ‘गुडलेंथ स्पॉट’ पर ज्यादा गेंदबाजी कर रहे कुलदीप यादव फुलटास और शार्ट गेंद बहुत कम फेंक रहे हैं.
स्पिन गेंदबाजी में स्पीड का बड़ा रोल रहता है, यानी गेंदबाज किस रफ्तार से गेंदबाजी कर रहा है. कुलदीप यादव की रफ़्तार 85-90 किलोमीटर प्रति घंटे है. अब इस रफ्तार की भी एक कहानी है. दरअसल, स्पिनर के लिए ज्यादा मायने ये रखता है कि उसकी गेंद पिच पर टप्पा खाने के बाद किस रफ्तार से निकल रही है. इस बात को कुलदीप यादव अब पहले के मुकाबले कई गुना बेहतर समझते हैं. इसीलिए वो पिच के मिजाज को भांपकर अपनी गेंदबाजी की रफ्तार तय करते हैं. इस सीरीज में आप उनकी गेंदबाजी पर गौर करेंगे तो ये बात साफ समझ आएगी. वैसे हाल फिलहाल में किसी भारतीय खिलाड़ी के करियर में 360 डिग्री का बदलाव आया है तो वो कुलदीप यादव ही हैं. दो-तीन साल पहले ऐसा लग रहा था कुलदीप यादव का करियर खत्म होने वाला है लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत से अपनी जगह वापस पक्की की है.
धर्मशाला से है कुलदीप यादव का खास रिश्ता
कुलदीप यादव ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत धर्मशाला से ही की थी. 2017 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए उस टेस्ट मैच में कुलदीप यादव ने 4 विकेट भी लिए थे. भारतीय टीम ने वो टेस्ट मैच 8 विकेट से जीता था. धर्मशाला के मैदान को परंपरागत तरीके से तेज गेंदबाजों के लिए मददगार माना जाता है. लेकिन भारतीय टीम ने पिछले मैच में भी यहां तीन स्पिन गेंदबाजों को शामिल किया था. ये तीनों गेंदबाज आर अश्विन, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव ही थे. दिलचस्प बात ये है कि 7 साल बाद एक बार फिर भारतीय टीम उन्हीं तीन स्पिनर्स के खिलाफ उतरने को तैयार है. जिस मैदान में खिलाड़ी ने अपने करियर की शुरुआत की हो वो हमेशा उसके लिए खास रहता है. कुलदीप यादव का धर्मशाला के मैदान से यही कनेक्शन है. वैसे इस सीरीज में कुलदीप यादव ने अपनी गेंदबाजी के साथ-साथ अपनी बल्लेबाजी से भी प्रभावित किया है.
पिछले मैच में उन्होंने मुश्किल पिच पर 28 रन बनाए थे. ये 28 रन इसलिए बहुत अहम थे क्योंकि उन्होंने ध्रुव जुरेल के साथ 76 रन की साझेदारी की थी. कुलदीप यादव मैच के दूसरे दिन नाइट वॉचमैन के तौर पर भेजे गए थे. लेकिन दूसरे दिन नॉट आउट लौटने के बाद तीसरे दिन पहले सेशन में भी उन्होंने सूझबूझ के साथ बल्लेबाजी की थी. दोनों दिनों को मिलाकर कुलदीप यादव ने क्रीज पर लगभग दो घंटे का समय बिताया था. इस दौरान उन्होंने 131 गेंद का सामना भी किया था. पिछले मैच में कुलदीप की बल्लेबाजी का संदेश बहुत साफ है. कुलदीप को भी समझ आ गया है कि हर कप्तान को ऐसे गेंदबाज ज्यादा पसंद आते हैं जो जरूरत पड़ने पर निचले क्रम में बल्लेबाजी भी कर सकें. अभी तक इस कसौटी पर कुलदीप यादव थोड़ा कमजोर पड़ जाते थे लेकिन वहां भी उन्होंने सुधार दिखाना शुरू कर दिया है. वैसे आपको बता दें कि घरेलू क्रिकेट में कुलदीप यादव के खाते में एक शतक भी है.