माले : केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से मुलाकात की और इस द्वीपीय देश के साथ ठोस द्विपक्षीय सहयोग और लोगों के बीच मजबूत संबंधों को और मजबूत करने की भारत की प्रतिबद्धता दोहराई. रिजिजू ने राष्ट्रपति मुइज्जू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभकामनाएं भी दीं. 45 वर्षीय मोहम्मद मुइज्जू ने शुक्रवार को मालदीव के 8वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. भारत की ‘नेबर फर्स्ट पॉलिसी’ के तहत किरेन रिजिजू ने मुइज्जू के शपथ ग्रहण समारोह में देश का प्रतिनिधित्व किया.
माले में शपथ ग्रहण समारोह में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विशेष दूत शेन यिकिन ने नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से मुलाकात की. उन्होंने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट को बढ़ावा देने और मालदीव-चीन के द्विपक्षीय संबंधों में नई प्रगति पर जोर दिया. मुइज्जू असल में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन के प्रतिनिधि थे. यामीन भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में बंद हैं और इस कारण वो चुनाव नहीं लड़ सके. यामीन 2013 से 2018 तक मालदीव के राष्ट्रपति रह चुके हैं. उनकी सरकार में ही मालदीव, चीन के करीब चला गया था और चीन के ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ प्रोजेक्ट से जुड़ गया था.
मोहम्मद मुइज्जू जब से मालदीव के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं, तब से भारत के साथ इस द्वीपीय देश के रिश्तों में तनाव आया है. मुइज्जू कई मौकों पर भारत विरोधी बयान दे चुके हैं. वह चीन समर्थक माने जाते हैं. उनका स्टैंड रहा है कि भारत को अपने सैनिकों को मालदीव से वापस बुला लेना चाहिए और शपथ ग्रहण के तुरंत बात उन्होंने फिर इस बात को दोहराया.
उनका कहना है कि मालदीव एक संप्रभु राष्ट्र है और यहां किसी दूसरे देश की सैन्य उपस्थिति सवीकार्य नहीं होनी चाहिए. वह अपने देश में भारतीय सैनिकों की उपस्थिति को मालदीव की संप्रभुता का उल्लंघन मानते हैं. मोहम्मद मुइज्जू का इलेक्शन कैम्पेन भी ‘इंडिया आउट’ के मुद्दे पर आधारित था. उन्हें 53% वोट मिले थे. जबकि, पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को 46% वोट हासिल हुए थे. सोलिह को भारत समर्थक माना जाता है.
भारत के लिए रणनीतिक महत्ता रखता है मालदीव
मालदीव रणनीतिक रूप से भारत और चीन दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. यहां 2013 से ही लामू और अद्दू द्वीप पर भारतीय सैनिक तैनात हैं. भारतीय नौसैनिक भी मालदीव में तैनात हैं. इंडियन नेवी ने वहां 10 कोस्टल सर्विलांस रडार इंस्टॉल कर रखे हैं. मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) के प्रमुख जनरल अब्दुल्लाह शमाल और रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने संसदीय समिति के सामने बताया था कि मालदीव में भारत के 75 सैनिक मौजूद हैं. मालदीव 1100 से ज्यादा छोटे-बड़े द्वीपों वाला राष्ट्र है. ये द्वीप हिंद महासागर में दक्षिण से पश्चिम तक फैले हुए हैं. चीन पहले ही 16 द्वीपों को लीज पर ले चुका है.
प्रमुख शिपिंग लेन के बगल में स्थित है मालदीव
मालदीव हिंद महासागर में प्रमुख शिपिंग लेन के बगल में स्थित है. यह शिपिंग लेन चीन, जापान और भारत जैसे देशों को निर्बाध ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करता है. चीन ने समुद्री डकैती विरोधी अभियानों के नाम पर 10 साल पहले हिंद महासागर में अदन की खाड़ी तक अपने नौसैनिक जहाज भेजने शुरू कर दिए थे. इसके बाद से ही भारत के लिए मालदीव का महत्व लगातार बढ़ता गया. भारत दक्षिण एशिया का एक प्रमुख और शक्तिशाली राष्ट्र है. हिंद महासागर क्षेत्र में उसकी शाख चीन के विस्तारवादी नीति के खिलाफ एक ‘सुरक्षा प्रदाता’ की है. इसलिए भारत को सुरक्षा और रक्षा क्षेत्रों में मालदीव के साथ करीबी सहयोग की आवश्यकता पड़ती है.
मालदीव को भी कर्ज की जाल में फंसा रहा चीन
मालदीव में चीन की व्यापक आर्थिक उपस्थिति भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है. कहा जाता है कि मालदीव को जो विदेशी सहायता मिलती है, उसका 70% चीन देता है. कई लोगों का मानना है कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन ने मालदीव के साथ वही किया है जो महिंदा राजपक्षे ने श्रीलंका के साथ. आपको बता दें कि श्रीलंका चीनी कर्ज के जाल में बुरी तरह फंसा हुआ है अभूतपूर्व आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. छोटे देशों को पहले अपने कर्ज की जाल में फंसाने और इसके जरिए उन पर दबाव बनाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर बिना नाम लिए चीन की आलोचना कर चुके हैं.
सार्क का भी सदस्य है मालदीव
मालदीव सार्क (South Asian Association for Regional Cooperation) का भी सदस्य है. क्षेत्र में अपना नेतृत्व बनाए रखने के लिए भारत के लिए मालदीव को अपने साथ रखना महत्वपूर्ण है. मालदीव एकमात्र सार्क देश था जो उरी हमले के बाद पाकिस्तान में सार्क शिखर सम्मेलन के बहिष्कार के भारत के आह्वान का पालन करने में अनिच्छुक लग रहा था. यामीन के शासन के दौरान, मालदीव में कट्टरपंथ तेजी से बढ़ा. अब उनके ही प्रतिनिध मुइज्जू मालदीव के राष्ट्रपति हैं. ऐसा पड़ोसी भारत के हित में नहीं हो सकता, जो इस्लामी कट्टरपंथ को रोकने में विफल रहे.
मालदीव में रहते हैं करीब 25000 भारतीय
भारत और मालदीव जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक संबंध साझा करते हैं. भारत 1965 में मालदीव की आजादी के बाद उसे मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था और बाद में 1972 में माले में अपना मिशन स्थापित किया. इसके अलावा मालदीव में करीब 25,000 भारतीय नागरिक रहते हैं. यहां दुनियाभर से हर साल आने वाले पर्यटकों में भारतीयों की हिस्सेदारी लगभग 6% है. शिक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन और व्यवसाय के लिहाज से भी भारत मालदीव के लोगों के लिए एक पसंदीदा स्थान है. विदेश मंत्रालय के अनुसार, मालदीव के लोग हायर एजुकेशन और मेडिकल जरूरतों के लिए भारत आते हैं.