नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन की जंग कौन रुकवा सकता है. इस बात की पूरी दुनिया में चर्चा में है. लेकिन कुछ देशों को छोड़कर किसी देश ने बहुत हिम्मत करके जंग पर बात नहीं की है, लेकिन भारत बहुत बेबाकी से जंग को रोकने को लेकर बात करता रहा है. अब इस मामले में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बहुत ही साफ शब्दों में अपनी बात पूरी दुनिया को बता दी है रूस और यूक्रेन की जंग में भारत की भमिका क्या है.
भारत की क्या है भूमिका?
दोहा फोरम में भारत की सक्रिय कूटनीति से दुनिया को रूबरू कराते हुए एस जयशंकर ने बताया कि कैसे भारत रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक संघर्षों को सुलझाने में मदद कर रहा है. जयशंकर ने शनिवार को मॉस्को में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और कीव में यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से सीधी बातचीत का जिक्र किया. उन्होंने खाड़ी और भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में तनावों पर भी चर्चा की. जयशंकर ने उम्मीद जताई कि बातचीत के जरिए समाधान निकल सकता है.
विदेशी धरती पर जयशंकर की दहाड़
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को अधिक नवोन्मेषी और भागीदारीपूर्ण कूटनीति का आह्वान करते हुए कहा कि सूई रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी रहने के बजाय बातचीत की वास्तविकता की ओर बढ़ रही है. जयशंकर कतर के प्रधानमंत्री एवं विदेश राज्य मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान के निमंत्रण पर दोहा फोरम में भाग लेने के लिए दोहा की यात्रा पर हैं. वहीं पर उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि ‘‘सुई युद्ध जारी रखने की तुलना में बातचीत की वास्तविकता की ओर अधिक बढ़ रही है.’’
भारत ने अब तक जंग रोकने के लिए क्या किया?
जयशंकर ने यह समझाया कि भारत कैसे मॉस्को जाकर, राष्ट्रपति (व्लादिमीर) पुतिन से बात करके, कीव जाकर, राष्ट्रपति (वोलोदिमिर) जेलेंस्की से बातचीत करके, पारदर्शी तरीके से एक-दूसरे को संदेश देकर अपनी कही गई बात पर आगे बढ़ रहा है. जयशंकर ने कहा कि भारत ‘‘साझा सूत्र’’ खोजने की कोशिश कर रहा है, जिन्हें किसी समय पर पकड़ा जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि भारत 125 अन्य देशों की भावनाओं और ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों को व्यक्त कर रहा है, जिन्होंने पाया है कि इस युद्ध से उनकी ईंधन लागत, उनकी खाद्य लागत, उनकी मुद्रास्फीति, उनके उर्वरक की लागत प्रभावित हुई है.
‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है, जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के रूप में जाना जाता है. ये मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं. उन्होंने कहा, ‘‘और, पिछले कुछ हफ्तों और महीनों में, मैंने प्रमुख यूरोपीय नेताओं द्वारा भी इस भावना को व्यक्त करते देखा है, जो वास्तव में हमसे कह रहे हैं कि कृपया रूस और यूक्रेन के साथ बातचीत जारी रखें. इसलिए हमें लगता है कि चीजें कहीं न कहीं उस दिशा में आगे बढ़ रही हैं.