इस्लामाबाद: पाकिस्तान सरकार और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बीच जारी बातचीत बेनतीजा खत्म हो गई है। इससे पाकिस्तान की उम्मीदों को करारा झटका लगा है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। मोहम्मद अली जिन्ना के सपनों का यह देश दिवालिया होने की दहलीज पर खड़ा है। ऐसे में पाकिस्तान को आईएमएफ से काफी उम्मीदें थी। पाकिस्तान वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी हामिद शेख ने कहा कि दोनों पक्षों में आर्थिक संकट को कम करने को लेकर सहमति बन गई है, लेकिन आईएमएफ ने बातचीत के लिए अभी और वक्त मांगा है। पाकिस्तान आईएमएफ से 1.1 अरब डॉलर की सहायता पैकेज के लिए बातचीत कर रहा था।
आईएमएफ की शर्तों को पूरा नहीं कर पा रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के पास पुराने कर्जों की किश्तें चुकाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं। पाकिस्तान अगर समय पर किश्त नहीं चुका पाया तो उसे दिवालिया घोषित किया जा सकता है। ऐसे में कर्ज देने वाले देश पाकिस्तान को लेकर नई स्ट्रैटजी बना सकते हैं, जो उसकी अर्थव्यवस्था पर और नकारात्मक असर डाल सकता है। पाकिस्तान सरकार ने इसी कारण से राहत पैकेज पर बातचीत के लिए पिछले हफ्ते अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक दल को बुलाया था। आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज देने से पहले कई तरह की शर्तें रखी हैं, जिनमें पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ाना, सब्सिडी को कम करना, टैक्स को बढ़ाना और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाना शामिल है।
अब पाकिस्तान का भविष्य क्या होगा?
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 3 अरब डॉलर बचा है। इतने पैसों में एक महीने के लिए भी आयात नहीं किया जा सकता है। ऐसे में अगर पाकिस्तान दिवालिया घोषित होता है तो उसे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अगर आईएमएफ दो से तीन हफ्तों के अंदर पैसे जारी नहीं किए जाते हैं तो पाकिस्तान का दिवालिया होना तय है। वहीं, अगर आईएमएफ ने पैसा जारी कर दिया तो कुछ दिनों के लिए पाकिस्तान की लाज बच जाएगी। हालांकि, अगर हालात नहीं सुधरे तो चंद महीनों में फिर पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।
पाकिस्तान पर कुल कितना कर्ज
पाकिस्तान पर लगभग 24.309 लाख करोड़ रुपये घरेलू लेनदारों का बकाया है। वहीं, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (PSE) द्वारा 2.3 लाख करोड़ का कर्ज है। इसी तरह, अक्टूबर 2021 तक, पाकिस्तान का बाहरी ऋण अब लगभग 121.75 अरब अमेरिकी डॉलर था।
पाकिस्तान के लिए डिफॉल्ट होने का क्या मतलब होगा
पाकिस्तान के डिफॉल्ट होने की सूरत में कई तरह के आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। पाकिस्तान को विदेशों से मिलने वाले कर्ज पर प्रतिबंध लग जाएगा। जो कर्ज पहले से है उसे चुकाने के लिए भी पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया जाएगा। डिफॉल्ट घोषित होने के पहले हफ्ते में पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय बेइज्जती का सामना करना पड़ सकता है। इसे रोकने के लिए पाकिस्तानी सरकार मीडिया संगठनों के लिए गाइडलाइन जारी कर सकती है। लोगों के अंदर बने पैनिक सिचुएशन को कम करने के लिए केंद्रीय बैंक को राहत भरी घोषणाएं करनी पड़ सकती है।