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बीजेपी में क्या होगा शिवराज का भविष्य?

Jitendra Kumar by Jitendra Kumar
12/12/23
in राज्य, समाचार
बीजेपी में क्या होगा शिवराज का भविष्य?
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भोपाल: मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के नाम का फैसला हो चुका है. तीन बार के विधायक मोहन यादव को सर्वसम्मति से बीजेपी विधायक दल का नेता चुन लिया गया है. शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया है, मोहन यादव 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. मोहन यादव के साथ दो डिप्टीसीएम भी बनाए जा रहे हैं और नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा में स्पीकर होंगे. ऐसे में शिवराज सिंह चौहान के सियासी भविष्य को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं कि वो आगे राजनीति में क्या करेंगे?

चार बार के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान अब जब मुख्यमंत्री नहीं होंगे तो मध्य प्रदेश की सियासत से निकलकर केंद्रीय राजनीति का रुख करेंगे या फिर बीजेपी संगठन में एडजस्ट होंगे. सवाल यह भी है कि संगठन और केंद्र की सियासत नहीं करते हैं तो फिर क्या राजभवन भेजे जाएंगे. हालांकि, चुनाव नतीजे के बाद मध्य प्रदेश के नेता दिल्ली में बीजेपी नेताओं को साथ मुलाकात कर रहे थे तो मीडिया के एक सवाल का जवाब देते हुए शिवराज ने कहा था कि ‘दिल्ली नहीं जाउंगा’ और 2024 में पीएम मोदी को एमपी की सभी सीटें जिताकर देनी है.

केंद्र की सियासत में शिवराज होंगे एडजस्ट

शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. चार महीने के बाद लोकसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते शिवराज चौहान को अहम जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. शिवराज जनता की सियासी नब्ज पकड़ने का जबरदस्त हुनर रखते हैं. मध्य प्रदेश की सियासत में जिस तरह महिला मतदाताओं को साधकर शिवराज सिंह ने सियासी बाजी पलटी है, उससे बखूबी समझा जा सकता है.

ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें केंद्र की राजनीति में अहम भूमिका सौंपी जा सकती है. नरेंद्र सिंह तोमर केंद्रीय कृषि मंत्री और प्रहलाद सिंह पटेल जल शक्ति राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके हैं. नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा के स्पीकर बनाए जा रहे हैं. ऐसे में शिवराज को केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री बनाए जाने का विकल्प दिख रहा है, लेकिन इसके लिए वो राजी होंगे कि नहीं, ये देखना होगा.

शिवराज को क्या मिलेगी संगठन में जगह

शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश की सियासत के बड़े चेहरा हैं. सूबे में जनता की नब्ज जानते-समझते हैं. सीएम बनने से पहले शिवराज सिंह चौहान बीजेपी संगठन का काम देख रहे थे. बीजेपी संगठन के अलग-अलग पदों पर काम कर चुके हैं. बीजेपी युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ-साथ बीजेपी के महासचिव, उपाध्यक्ष, चुनाव समिति के सदस्य के पद पर रह चुके हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी की हार हुई थी तो पार्टी ने उन्हें उपाध्यक्ष बनाया था. इसके बाद उन्हें पार्टी सदस्यता अभियान का राष्ट्रीय प्रभारी बनाया गया था. उस समय भी शिवराज सिंह चौहान संगठन में नहीं जाना चाहते थे, लेकिन पार्टी के फैसले के खिलाफ भी नहीं जा सके थे.

सत्ता की कमान संभालने के बाद अब उन्हें एक बार फिर से संगठन में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. जेपी नड्डा के अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है और उन्हें 2024 के चुनाव तक का विस्तार दिया गया है. ऐसे में शिवराज सिंह चौहान को फिलहाल संगठन में जगह देकर किसी राज्य का प्रभारी बनाया जा सकता है. बीजेपी ने अपने कई नेताओं को सीएम पद से हटाकर संगठन में अहम जिम्मा सौंपी है, जिसमें विजय रुपाणी, नितिन पटेल और कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा जैसे नेताओं के नाम शामिल हैं. यही वजह है कि शिवराज सिंह चौहान को संगठन में जगह मिल सकती है.

राजभवन क्या बनेगा सियासी ठिकाना

शिवराज सिंह चौहान को केंद्र में मंत्री और बीजेपी संगठन में जगह नहीं मिलती है तो फिर राजभवन का विकल्प बचता है. बीजेपी अपने कई पूर्व मुख्यमंत्रियों को राज्यपाल बनाकर राजभवन भेज चुकी है. गुजरात की सीएम पद से हटने के बाद आनंदी बेन पटेल को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था. कल्याण सिंह को राजस्थान का राज्यपाल बनाया गया था. इसी वजह से अटकलें लगाई जा रही हैं कि उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल बनाकर सियासी कशमकश को विराम दिया जा सकता है. हालांकि, शिवराज सिंह चौहान इसके लिए तैयार होंगे, यह कहना मुश्किल है.

शिवराज सिंह चौहान खुद को एक्टिव पॉलिटिक्स में बनाए रखना चाहते हैं, जिसके चलते राजभवन जाने के लिए तैयार नहीं होंगे. ऐसे में केंद्र में मंत्री और बीजेपी संगठन में से किसी एक विकल्प को चुन सकते हैं. विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद से शिवराज एमपी की सियासत में सक्रिय हैं. मुख्यमंत्री पद की रेस में पिछड़ने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं के साथ मुलाकात किया, इस दौरान उन्हें सीएम न बनाए जाने को लेकर रो रही महिलाओं को चुप कराते दिखे. भोपाल में अपने लिए उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए दूसरा घर तैयार करवा लिया था. साथ ही अपनी लाडली बहनों को भी संकेत दे दिए थे कि मैं जब चला जाऊंगा तब बहुत याद आऊंगा. मध्य प्रदेश में शिव ‘राज’ के बजाए मोहन ‘राज’ आ गया है.

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