नई दिल्ली: विधानसभा चुनावों के दौरान नेताओं के बीच कटाक्ष और तंज भरे बयान अक्सर चर्चा में रहते हैं। हाल ही में असम कांग्रेस ने धोलाई उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार पर कटाक्ष किया, जिसमें उम्मीदवार की बैकग्राउंड पर सवाल उठाते हुए पूछा गया कि क्या वह “बांग्लादेशी” हैं। इस पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कांग्रेस पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि विपक्षी दल बंगाली हिंदुओं को “खतरे में डालने” का काम कर रही है।
रविवार को धोलाई में चुनाव प्रचार के दौरान असम कांग्रेस प्रमुख भूपेन बोरा ने निहार रंजन के “बांग्लादेशी” होने पर सवाल उठाया। उन्होंने यह टिप्पणी स्थानीय बीजेपी नेता अमिय कांति दास के बयानों के आधार पर की थी। बोरा ने कहा, “अमिया कांति दास ने सार्वजनिक रूप से कहा था कि बीजेपी के धोलाई उम्मीदवार निहार रंजन दास बांग्लादेशी हैं। यह बात किसने कही? एक बीजेपी नेता जो मुख्यमंत्री के करीबी हैं। मुख्यमंत्री को असम के लोगों को बताना चाहिए कि बीजेपी ने एक बांग्लादेशी उम्मीदवार को क्यों चुना है… यह कोई छोटी या मजाक की बात नहीं है।”
बीजेपी से जुड़े वकील निहार रंजन ने इन दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “ये पूरी तरह से झूठी बातें हैं और इन्हें महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। यह कांग्रेस की शैली है, जिसमें कोई सच्चाई नहीं है।”
बीजेपी की कछार जिला इकाई के उपाध्यक्ष रहे अमिय कांति दास ने निहार रंजन को पार्टी का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद पार्टी छोड़ दी थी और निर्दलीय के तौर पर नामांकन दाखिल किया था। हालांकि पार्टी नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने नामांकन वापस लेकर बीजेपी में वापसी की। बताया जाता है कि उन्होंने कहा था कि निहार रंजन के माता-पिता बांग्लादेश के निवासी हैं।
मंगलवार को सरमा ने धोलाई में जनसभाओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “ऐसी बातें कहकर कांग्रेस लोगों को खतरे में डालने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस पार्टी हिंदू बंगाली लोगों के खिलाफ नए सिरे से मामले खोलने का प्रयास कर रही है। हमने समस्याओं का समाधान किया है, लेकिन कांग्रेस फिर से मुद्दा खोलने की कोशिश कर रही है।”
बराक घाटी में नागरिकता एक संवेदनशील मुद्दा है। असम में बीजेपी ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को बंगाली हिंदुओं के लिए राहत के रूप में प्रस्तुत किया था, जो बीजेपी का एक प्रमुख समर्थन आधार हैं। हालांकि सीएए के तहत नागरिकता के लिए बहुत कम लोगों ने आवेदन किया है, असम सरकार ने इस साल की शुरुआत में राज्य की सीमा पुलिस को निर्देश दिया था कि वे 2014 के अंत से पहले भारत में प्रवेश करने वाले “हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई” नागरिकता मामलों को सीधे न भेजें और सीएए के तहत आवेदन के लिए प्रोत्साहित करें।
निहार रंजन के खिलाफ कटाक्षों पर सरमा ने कहा, “अगर इस मुद्दे पर चर्चा की जाती है, तो कई लोगों के घरों में नोटिस जाएंगे और न्यायाधिकरणों में पेश होना पड़ेगा। कांग्रेस यहां राजनीति कर रही है ताकि हिंदू बंगाली लोगों पर फिर से अत्याचार हो।”