संध्या नवोदिता
जब कुछ सम्भव न हो पाए
तो बस एक काम करना
तुम प्रेम को स्मृति में रखना
स्मृतियों को प्रेमिल रखना
नमी बचाए रखना
आँखों में
हृदय में
और जीवन में
जब कुछ सम्भव न हो
हृदय को भर आने देना
गला रुँधने देना
दृश्यों को धुँधलके में देखना
यूँ
मनुष्य होना बचाए रखना
मनुष्यता में प्रेम बचा लेना
प्रेम में मुझे
यह मेरे अमर होने की ख्वाहिश है
तुम में।