नई दिल्ली: जब घर में किसी बच्चे का जन्म होता है तो पूरा परिवार खुशी मनाता है। आस पड़ोस में मिठाइयां बांटी जाती हैं। लेकिन उत्तराखंड के कुछ परिवारों में बच्चे के जन्म लेने पर असमंजस की स्थिति हो गई हैं। लोग सोच रहे हैं कि खुशी मनाएं या दुख। ऐसा इसलिए कि इन परिवारों में बच्चे के जन्म होने पर इनके प्रधानी और बीडीसी मेंबर की कुर्सी चली गई। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में दो प्रधान और एक बीडीसी मेंबर को इस्तीफा देना पड़ा। इन लोगों के यहां तीसरी संतान हुई इसके चक्कर में इन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। अब इन सभी सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। प्रदेश में पंचायत चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी के लिए दो बच्चों की बाध्यता है। तीसरी संतान होने पर प्रतिनिधि को अयोग्य माना जाता है।
पंचायत चुनाव के नियम की बाध्यता के चलते देना पड़ा इस्तीफा
2019 में हुए पंचायत चुनाव के दौरान लागू अधिसूचना में तीसरी संतान वाले उम्मीदवारों को प्रधान, बीडीसी पद के लिए अपात्र कर दिया गया था। तीन साल बाद भी नए नियम के तहत ऐसे प्रतिनिधियों को अपात्र माना जा रहा है, जिनकी तीन संतानें हैं। पिछले महीने शासन ने ऐसी सीटों की सूची मांगी थी। अब जिन सीटों के प्रतिनिधियों की तीसरी संतान हुई है, उन्हें अपने पद से हटना पड़ेगा। अल्मोड़ा में लमगड़ा ब्लाक के सेल्टाचापड़ में 2019 के पंचायती चुनाव में प्रधान निर्वाचित हुए ग्राम प्रधान की भी इसी साल तीसरी संतान हुई है।
यहां कराना पड़ेगा उपचुनाव
उन्होंने 12 अगस्त 2022 को त्यागपत्र दिया। स्यालदे ब्लाक के लालनगरी में भी 2019 में निर्वाचित प्रधान की तीसरी संतान हुई है, उन्हें भी बीते दिनों त्यागपत्र देना पड़ा है। लमगड़ा ब्लॉक के डोल में 2019 में चुने गए बीडीसी सदस्य ने भी तीसरी संतान होने पर 22 जुलाई 2022 को त्यागपत्र दे दिया था। अब यहां उपचुनाव कराए जाएंगे।
दो प्रधान और एक बीडीसी को छोड़नी पड़ी कुर्सी
गोपाल सिंह अधिकारी, डीपीआरओ अल्मोड़ा ने बताया कि दो प्रधान और एक बीडीसी सदस्य की तीसरी संतान पैदा हो गई थी। नियमों के तहत तीसरी संतान वाले प्रतिनिधि को त्यागपत्र देना जरूरी है। ऐसे में तीनों का त्यागपत्र मिलने के बाद यहां चुनाव करवाए जा रहे हैं। बता दें कि बीते 2021 में हरिद्वार के लक्सर पालिका में भी तीसरी संतान की वजह से सभासद को हटाया गया था।