नई दिल्ली: सिर्फ 24 घंटे का वक्त बचा है, जिसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट पेश करेंगी। भारत में बजट का इतिहास 180 साल से भी पुराना है। अंग्रेजों के समय से बजट पेश होचा आ रहा है। वहीं आजादी के बाद बजट का महत्व और उसकी दिशा दोनों बदल गई। देश के आर्थिक सेहत का हालचाल बताने वाले इस अहम बजट के साथ कई रोचक कहानियां भी जुड़ी है। इन्हीं में से एक कहानी से हम आपको रूबरू करवा रहे है। बजट के उस दौर से आपका परिचय करवा रहे हैं, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारत का बजट पेश किया था। इसे लेकर खूब हंगामा हुआ था।
पाकिस्तान के पीएम ने पेश किया था भारत का बजट
वो वक्त था सन् 1946 का, जब पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने भारत का बजट पेश किया था। उस वक्त लियाकत अली खान पंडित जवाहर लाल नेहरु की अंतरिम सरकार में वित्त मंत्री थे। ये बजट भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले पेश किया गया था । लियातक अली के इस बजट का खूब आलोचना हुई थी। जब महज डेढ़ साल बाद बंटवारा हुआ तो लियाकत अली पाकिस्तान के पहले पीएम बने।
2 फरवरी 1946 को पेश हुआ था बजट
मोहम्मद अली जिन्ना के करीबियों में शामिल रहने वाले लियाकत अली खान ने अंतरिम प्रधानमंत्री नेहरू की सरकार में वित्त मंत्री थे। इस लिहाज से उन्होंने 2 फरवरी 1946 को भारत का बजट पेश किया। सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली, यानी आज आप जिसे संसद या पार्टियामेंट के नाम से जानते हैं, वहां उन्होंने भारत का बजट पेश किया। हालांकि उनके इस बजट की खूब आलोचना हुई। इतिहास में इस बजट को ‘पुअर मैन’ बजट का नाम का नाम दिया। देश के उद्योगपतियों ने भी इस बजट को लेकर नाराजगी जताई थी। आम जनता ने इस बजट में टैक्स प्रपोजल को लेकर सरकार को काफी खरी खोटी सुनाई। इस बजट में टैक्स को काफी कठोर रखा गया था, जिससे कारोबारियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। इस बजट में उन्होंने उद्योगपतियों, कारोबारियों पर हर 1 लाख रुपए के मुनाफे पर 25 फीसदी का टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा। इतना ही नहीं कॉरपोरेट टैक्स को दोगुना करने का फैसला किया गया।
हुई खूब आलोचना
इस बजट के पेश होने के बाद लियाकत अली पर गंभीर आरोप लगे। लोगों ने इस बजट को हिंदू विरोधी बजट करार दिया। कारोबारियों ने आरोप लगाया कि जानबूझकर उन्होंने इस तरह के टैक्स का प्रावधान लगाया है। कहा गया कि लियाकत हिंदू कारोबारियों के खिलाफ है और इसलिए उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए ये बजट तैयार किया गया। उनकी दलील थी कि देश में हिंदू कारोबारी अधिक है, इसलिए जानबूझ कर इस तरह का बजट पेश किया गया है।
बने पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान की कमान लियाकल अली खान के हाथों में सौंप दी गई। उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया, लेकिन वो ज्यादा दिनों तक वहां शासन नहीं कर के। चार साल बाद ही 1951 में गोली मारकर उन्हीं हत्या कर दी गई थी।