देहरादून : विधानसभा चुनाव में ‘हार पर रार’ एक साल बाद भी जारी है। लोकसभा चुनाव-2024 से पहले कांग्रेस में अंदरूनी गुटबाजी भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा की नियुक्ति को दस अप्रैल को एक साल पूरा हो रहा है। माहरा का पहला एक साल गुटबाजी से जूझने में ही बीता, उनकी प्रदेश कार्यकारिणी का भी अभी गठन नहीं हो पाया है।
अलबत्ता इस दौरान वो सड़कों पर जूझते जरूर नजर आए। लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने गत वर्ष अप्रैल में आमूलचूल बदलाव करते हुए, संगठन की जिम्मेदारी करन माहरा को सौंपी दी थी। गत दस अप्रैल को हुई इस घोषणा को अब एक साल पूरा हो गया है।
इस एक साल में माहरा लगातार आंतरिक गुटबाजी से जूझते नजर आए। नियुक्ति के तत्काल बाद हरीश रावत से भी उनके रिश्ते असहज नजर आए जो अब काफी हद तक पटरी पर आते नजर आ रहे हैं। लेकिन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के तेवर अब भी तल्ख बने हुए हैं। हालांकि प्रीतम का मुख्य निशााना प्रदेश प्रभारी होते हैं।
लेकिन अध्यक्ष होने के नाते इन सवालों का सामना करन माहरा को ही करना पड़ता है। बड़े नेताओं में पटरी न बैठ पाने के कारण पीसीसी, एआईसीसी सदस्यों की नियुक्ति, नगर जिलाध्यक्षों की नियुक्ति पर भी कांग्रेस में जमकर बयानबाजी हुई। इन हालात में आला कमान प्रदेश कार्यकारिणी की भी घोषणा नहीं कर पा रहा है।
जबकि माहरा दो महीने पहले ही अपनी लिस्ट भेज चुके हैं। दूसरी तरफ इस एक साल में विपक्ष के नाते कांग्रेस बड़े मुद्दों को लेकर सरकार पर लगातार आक्रामक रही। इस दौरान माहरा पूर्व अध्यक्षों की लीक से हटकर आक्रामक होकर सरकार के खिलाफ सड़कों पर डटे रहे।
धार्मिक स्थलों के नाम पर नैरेटिव खड़ा कर रही है सरकार
माहरा ने कुछ अवैध धार्मिक स्थलों को तोड़े जाने संबंधित सीएम के बयान पर प्रतिक्रिया में कहा कि जो पुराने हैं, उन्हें नियमित किया जाए, जबकि जो नए अतिक्रमण हैं, उन्हें बिना धार्मिक भेदभाव के तोड़ा जाए। लेकिन सरकार इसके जरिए नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश कर रही है। नवप्रभात ने कहा कि मजारें मुख्य रूप से सूफीवाद की प्रतीक हैं जो हिंदू और इस्लाम को आपस में जोड़ती हैं। अलबत्ता कांग्रेस अवैध निर्माण के पक्ष में नहीं है।
प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभालने के दिन हमारे सामने हार से हतााश हो चुके कार्यकर्ताओं के मनोबल को फिर खड़ा करने की चुनौती थी। इस एक साल में प्रदेश में भर्ती घोटाला, अंकिता हत्याकांड, जोशीमठ आपदा जैसी कई बड़ी घटनाएं हुईं। जिस पर हमने सड़कों पर उतर कर संघर्ष किया। अब हमारा लक्ष्य निकाय और लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने का है। प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा राष्ट्रीय नेतृत्व के स्तर से ही होनी है।
करन माहरा, प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस