अयोध्या: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में अब कम ही समय रह गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट कार्यक्रम के लिए न्योते बांट रहे हैं। बुधवार को जब कांग्रेस पार्टी के नेता दिग्विजय सिंह से इस संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “मुझे किसी न्योते की जरूरत नहीं है। भगवान राम हमारे ह्रदय में बसे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि सवाल यह है कि रामलला की जिस मूर्ति पर सारा झगड़ा हुआ, वो मूर्ति कहां है? नई मूर्ति की जरूरत क्यों पड़ी।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले गोधरा जैसी घटना की संभावना
कर्नाटक कांग्रेस के सीनियर नेता बीके हरिप्रसाद ने बुधवार को विवादित बयान दिया। उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक में 22 जनवरी से पहले गोधरा जैसी घटना की संभावना है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि कर्नाटक सरकार को अलर्ट रहना चाहिए क्योंकि ऐसे ही अवसर पर गोधरा में कार सेवकों को आग लगा दी गई थी।
उन्होंने कहा कि यहां भी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती। इसलिए कर्नाकट में ऐसी घटनाओं को कोई स्थान नहीं दिया जाना चाहिए। जो अयोध्या जाना चाहते हैं उनके लिए सभी व्यवस्था की जानी चाहिएं ताकी हम कर्नाटक में गोधरा जैसी स्थिति न देंखें। उन्होंने कहा, “इसी बात की संभावना है। मैं आपको जानकारी दे सकता हूं। मैं आपको बता सकता हूं कि कुछ संगठनों के प्रमुख कुछ राज्यों में गए और कुछ BJP नेताओं को उकसाया है। मैं यह बात खुलकर नहीं कह सकता। वे ऐसा कर रहे हैं। वे इस तरह की गतिविधि के लिए उकसा रहे हैं।”
क्या कांग्रेस नेता राम मंदिर कार्यक्रम में होंगे शामिल?
कांग्रेस नेताओं को मिले न्योते के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को राजनीतिक रूप से देखा जाना चाहिए न कि धार्मिक रूप से। उन्होंने कहा, “अगर हिंदू धर्म गुरू राम मंदिर का उद्धाटन करता तो और मैं वहां बिना आमंत्रण के जा सकते थे।”
उन्होंने आगे कहा कि चार शंकराचार्य हिंदू धर्म के प्रमुख हैं। अगर चार शंकराचार्यो या किसी अन्य धार्मिक प्रमुख को कार्यक्रम का उद्घाटन करना होता तो मैं वहां उपस्थित होता। पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह धर्म गुरु नहीं है, वो सियासत करते हैं। हमें इस पर विचार करना होगा।