पं श्रीराम शर्मा आचार्य
अपेक्षा से ही हम किसी वस्तु, व्यक्ति या परिस्थिति का मूल्यांकन करते हैं तुलना ही एक मोटी कसौटी हमारे पास है जिससे किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है। जिनके बारे में वह निर्धारण किया गया है वे वस्तुतः क्या हैं? इसका पता लगाना अपनी ज्ञानेन्द्रियों के लिये जिनमें मस्तिष्क भी सम्मिलित है, अति कठिन है। क्योंकि वे सभी अपूर्ण और सीमित हैं। कई अर्थों में तो उन्हें भ्रान्त भी कहा जा सकता है। सिनेमा के पर्दे पर तस्वीरें चलती-फिरती दिखाई देती हैं वस्तुतः वे स्थिर होती हैं, उनके बदलने का क्रम ही इतना तेज होता है कि आंखें उसे ठीक तरह पकड़ नहीं पातीं और आकृतियों को ही हाथ-पैर हिलाती, बोलती, गाती समझ बैठती हैं।
अक्सर हमारी अनुभूतियां वस्तुस्थिति से सर्वथा उलटी होती हैं। इन्द्रियां अपूर्ण ही नहीं कई बार तो वे भ्रामक सूचनाएं देकर हमें ठगती भी हैं। उनके ऊपर निर्भर रहकर—प्रत्यक्षवाद को आधार मानकर शाश्वत सत्य को प्राप्त करना तो दूर समझ सकना भी सम्भव नहीं होता।
उदाहरण के लिये प्रकाश को ही लें। प्रकाश क्या है? उसे विद्युत चुम्बकीय लहरों का बवंडर ही कहा जा सकता है। वह कितना मन्द या तीव्र है यह तो उसकी मात्रा पर निर्भर है, पर उसकी चाल सदा एक-सी रहती है। एक सैकिण्ड में वह एक लाख छियासी हजार मील की गति से दौड़ते रहने वाला पदार्थ है। प्रकाश किरणों में सात रंग होते हैं! इन्हीं के सम्मिश्रण से हलके भारी अनेकानेक रंगों का सृजन होता है।
चन्द्रमा हमसे ऊंचा है पर यदि चन्द्रतल पर जा खड़े हों तो प्रतीत होगा कि पृथ्वी ऊपर आकाश में उदय होती है। सौर मण्डल से बाहर निकल कर कहीं आकाश में हम जा खड़े हों तो प्रतीत होगा कि पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण ऊपर नीचे जैसे कोई दिशा नहीं है। दिशाज्ञान सर्वथा अपेक्षाकृत है। दिल्ली, लखनऊ से पश्चिम में बम्बई से पूर्व में, मद्रास से उत्तर में और हरिद्वार से दक्षिण में है। दिल्ली किस दिशा में है यह कहना किसी की तुलना अपेक्षा से ही सम्भव हो सकता है वस्तुतः वह दिशा विहीन है।
समय की इकाई लोक व्यवहार में एक तथ्य है। घण्टा मिनट के सहारे ही दफ्तरों का खुलना बन्द होना रेलगाड़ियों का चलना रुकना—सम्भव होता है। अपनी सारी दिनचर्या समय के आधार पर ही बनती है। पर समय की मान्यता भी असंदिग्ध नहीं है। सूर्योदय या सूर्यास्त का समय वही नहीं होता जो हम देखते या जानते हैं। जब हमें सूर्य उदय होते दीखता है उससे प्रायः 8।। मिनट पहले ही उग चुका %